मोटापा, डायबीटीज, बीपी के कारण लोगों में बढ़ रही किडनी से जुड़ी समस्याएं

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स्वास्थ्य। गलत खानपान,अव्यवस्थित जीवनशैली के कारण किडनी रोग महामारी के रूप में उभर रहा है.अगर शुरुआती चरण में इसकी पहचान कर उपचार नहीं कराया गया तो अंत में डायलिसिस व किडनी ट्रांसप्लांट ही इसका उपचार है. ये बातें सूबे के जाने माने यूरोलॉजिस्ट व किडनी ट्रांसप्लांट सर्जन डॉ राजेश रंजन ने कही.वे ओबरा के पेंशनर भवन में बुद्धिजीवियों को संबोधित कर रहे थे.उन्होंने कहा कि मोटापा, डायबीटीज,बीपी के कारण किडनी से जुड़ी समस्याएं आम लोगों में बढ़ रही है.शरीर के किसी भी अंग पर इसका प्रभाव दिख सकता है.

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बार-बार पेशाब, पैर-हाथ व चेहरे में सूजन, घुटनों में दर्द समेत सिर से पैर तक किसी भी अंग में किडनी रोग का दुष्प्रभाव दिख सकता है. बचाव के लिए जरूरी है कि शुगर-बीपी नियंत्रित रखा जाए, वजन नियंत्रित रखा जाए, संतुलित आहार और संतुलित मात्रा में पानी का सेवन करें. धूम्रपान व शराब से परहेज बेहतर है.इस दौरान कई लोगों ने उनसे सवाल भी पूछे जिसके जवाब में उन्होंने कहा कि आमजन को अपनी सेहत के लिए सजग होना होगा.

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इसके लिए उन्हें कुछ खास उपाय नहीं करने हैं केवल स्वस्थ जीवनशैली को अपनी आदत बनाना है. इस दौरान अबीर गुलाल लगाकर होली की मुबारकबाद भी दी. पेंशनर समाज के सचिव त्रिवेणी पांडेय, अध्यक्ष रामचंद्र सिंह, उपाध्यक्ष, बैजनाथ प्रसाद, परमेश्वर सिंह,लखन पांडेय,स्टेशन प्रबंधक अरविंद कुमार, मुखिया मुन्ना सिंह, नन्हकू पांडेय,सीए शैलेश कुमार, राहुल कुमार सिंह, समाजसेवी पुष्कर अग्रवाल, कुमार सोनू निगम, बालाजी आदि मौजूद रहे.

भोजन में बढ़ाएं सब्जियों की मात्रा,फ़ास्ट फूड से बचें

डॉ राजेश ने कहा कि सभी लोग घर का बना ताजा पौष्टिक आहार लें, भोजन में 50 प्रतिशत तक मात्रा मौसमी फलों व सब्जियों की हो, एक घंटे शारीरिक श्रम व योग-प्राणायाम करें तो किडनी समेत उसके कारक शुगर, बीपी, मोटापे व काफी हद तक संक्रमणों से बचा जा सकता है.

इसके अलावा फास्ट फूड से परहेज, अधिक रासायनिक खाद व कीटनाशक के इस्तेमाल से उपजाए अन्न की जगह जैविक खाद वाली फसलाें के सेवन, समय पर सोने और जागने की आदत, मूल-मूत्र के वेग को रोकें नहीं और सबसे जरूरी ऋतु के अनुसार दिनचर्या का पालन करें. इससे स्वस्थ जीवन जिया जा सकता है।

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