औरंगाबाद। भगवान भास्कर की नगरी देव में श्री सूर्य महायज्ञ का आयोजन हो रहा है. इस भव्य महायज्ञ का आगाज आगामी 23 अप्रैल से होगा. महायज्ञ बैशाख शुक्ल पक्ष की अक्षय तृतीया को प्रारंभ होकर बैशाख शुक्ल पक्ष की दशमी यानी 30 अप्रैल तक चलेगी. श्री सूर्यनारायण महायज्ञ समिति देव के सचिव ज्योतिषाचार्य पंडित सतीश पाठक ने बताया कि इस यज्ञ में एक से बढ़कर एक विद्वान संत जनों का आगमन हो रहा है.
पूरी के शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती जी महाराज, चित्रकुट धाम के तुलसी पीठाधीश्वर स्वामी रामभद्राचार्य जी महाराज, अयोध्या पीठाधीश्वर जगतगुरु रामानुजाचार्य जी,स्वामी श्रीधराचार्य जी महाराज,अनंत श्रीविभूषित जगत गुरु निम्बाकाचार्य जी महाराज, हनुमान गढ़ी के पीठाधीश्वर महंत राजू दास जी महाराज के साथ-साथ देश के अनेकों तीर्थ स्थलों से संत- महात्मा, कथाकार पधारेंगे.वहीं काशी विश्वास मंदिर के अर्चक डॉ श्रीदेव मिश्र जी द्वारा यज्ञ संपन्न कराया जायेगा. साथ ही प्रतिदिन कथा वाचिका किशोरी वैष्णवी जी का प्रवचन होगा.
उन्होंने कहा कि श्री सूर्यनारायण महायज्ञ समिति देव द्वारा यज्ञ की तैयारी जोर-शोर से चल रही है.यज्ञ की सफलता को लेकर लगातार बैठक भी हो रही है. महायज्ञ में किसी प्रकार की दिक्कत ना हो इसके लिए विभिन्न विभागों का गठन कर अलग-अलग कार्यकर्ताओं को दायित्व सौंपा गया है. पंडित सतीश पाठक ने कहा कि सूर्य ऊर्जा व आरोग्य प्रदान करने वाले प्रत्यक्ष देव है.सूर्य की पूजन और हवन से समस्त समस्याएं दूर होती है और कार्य मंगल होता है.
उन्होंने कहा कि यज्ञ में शामिल होने वाले श्रद्धालुओं को रोग,शोक, दुख, दीनता, हीनता का नाश होगा और सूर्य नारायण की कृपा बनी रहेगी. धर्मानुरागियों से अपील करते हुए श्री पाठक ने कहा कि यज्ञ में अधिक से अधिक संख्या में भाग लें. उन्होंने कहा कि यज्ञ में करीब 10 लाख श्रद्धालुओं के शामिल होने की उम्मीद है.समिति के अध्यक्ष प्रवीण कुमार सिंह, सह सचिव आलोक कुमार सिंह, कोषाध्यक्ष प्रमोद कुमार सिंह, यज्ञ के मुख्य यजमान ज्ञानेश कुमार पांडेय, मीडिया प्रभारी रविकांत पाठक सहित सभी लोग यज्ञ को सफल बनाने में जुटे हुए हैं.
अक्षय तृतीय को होगी जलभरी, लाल वस्त्र में होंगे सभी श्रद्धालु
आगामी 23 अप्रैल यानी बैशाख शुक्ल पक्ष की अक्षय तृतीया तिथि को जल यात्रा एवं पंचांग पूजन के साथ महायज्ञ की विधिवत शुरूआत होगी. जल भरी यात्रा में हेलीकॉप्टर से पुष्प वर्षा की जाएगी. अक्षय तृतीया सनातन धर्म में विशेष महत्व रखने वाली तिथि है. अगले दिन 24 अप्रैल यानी चतुर्थी को मंडप पूजन एवं अग्नि स्थापन किया जायेगा.
देश के कोने-कोने से जुटे विद्वान पंडितों एवं कर्मकांडियों द्वारा विधि विधानपूर्वक मंत्रोच्चारण के साथ यज्ञ आरंभ होगा. वहीं 30 अप्रैल यानी वैशाख शुक्ल पक्ष की दशमी को यज्ञ की पूर्णाहुति होगी. पूर्णाहुति के बाद भव्य महाभंडारा का आयोजन किया जायेगा, जिसमें शामिल श्रद्धालु महा प्रसाद ग्रहण करेंगे.