आद्रा नक्षत्र के पहले रविवार को सूर्य मंदिर में श्रद्धालुओं की उमड़ी भीड़

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औरंगाबाद। सूर्य 22/ 23 जून 2023 गुरुवार को रात्रि 01 : 40 में आद्रा नक्षत्र में प्रवेश कर गए । इस नक्षत्र का राशि मिथुन है, जो बुध ग्रह की भी राशि है। और सूर्य व बुध इस समय मिथुन राशि में ही रहेंगे। जिसके कारण मिथुन राशि में बुधादित्‍य योग बन रहा है। जो शुभ अशुभ फल देंगे। साथ ही इस समय शनि स्‍वराशि कुंभ में गोचर करेंगे।

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आद्रा नक्षत्र का क्या महत्व

सूर्य के आर्द्रा नक्षत्र में आने को बहुत महत्‍वपूर्ण माना गया है।
सूर्य के आद्रा में प्रवेश से ही मानसून का आगमन हो जाता है। आद्रा नक्षत्र में देवी देवताओं का पूजन व तीर्थ दर्शन का विशेष महत्व है। इस दिन भगवान शंकर, भगवान विष्णु और सूर्य देव की पूजा की जाती है और उन्‍हें खीर-पूड़ी, आम का भोग लगाया जाता है। साथ ही इस दिन विष्णु सहस्त्रनाम और महामृत्युंजय मंत्र का जप करना बेहद फलदायी माना जाता है।भगवान शंकर का रुद्र रूप इस नक्षत्र का मालिक होते हैं, जो भक्तों का मनोरथ पूर्ण करते हैं।

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आद्रा में यदि अच्छी वर्षा नही हो तो विषैले जीवों का विष भयानक हो जाता है। जिनके कुंडली मे विष दोष लगा है खास कर उन्हें इस समय भगवान शिव के नीलकंठ महादेव रूप का पूजा करना चाहिए। आद्रा के दौरान खास कर इस पंद्रह दिनों में खीर पूरी बना कर पूजा पाठ किया जाता है। मान्यता है कि इस दौरणखीर भोजन लेने से विष का प्रभाव कम होता है।

आद्रा में 22,23,24,25 जुन को हर साल पृथ्वी रजस्वला रहती है। इन दिन में धरती माता को कोडना, हल जोतना, टैक्टर चलाना नहीं चाहिए, जो ऐसा करता है धरती देवी लक्ष्मी कुपित हो जाती है । और परिजनों में कष्ट आता है , यह धरती सीता जी की मां है , श्री राम जी की सास है , आद्रा में खीर पुड़ी बनता है। तीन दिन गाय गोबर से आंगन लिपने पर बरसात भर विषैले सांप नहीं आता है।

5 वर्षों से ज्यादा समय से अशोक पांडे लगातार देव मंदिर पूजा करने जाते हैं। उन्होंने बताया कि आद्रा के पहले रविवार को भगवान भास्कर की नगरी देव में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी।यहां जिले के साथ साथ राज्य के विभिन्न हिस्सों से आकर श्रद्धालुओं ने भगवान भास्कर का दर्शन किया और उनकी आराधना की।

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