लघु कथा – दृढ़ निश्चय

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ज्ञानेंद्र मोहन खरे

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समस्याओं से घिरा जीवन और अकेला इंसान जो प्रयास करने अलावा कुछ नहीं कर सकता। समस्या को चुनौती की तरह लेना और अथक परिश्रम से इसका निदान करना जीवन में परमानंद की कुंजी है। समस्या का निदान यथाशीघ्र होना चाहिये अन्यथा इसकी तीव्रता बढ़ती जाती है और मनुष्य कष्टों और मानसिक प्रताड़ना से त्रस्त रहता है।

समस्या के त्वरित निवारण हेतु दृढ़ निश्चय लाज़मी है। दृढ़ निश्चय अल्पकालीन विपत्तियों को हल करने का अचूक अस्त्र है। इससे मनुष्य में अभिप्रेरणा बनी रहती है। उसका आत्मविश्वास भी बढ़ता है। मानसिक दृढ़ता बनी रहती है और इंसान कभी विचलित नहीं होता। उसका जुझारूपन बना रहता है। दृढ़ निश्चय से इंसान कठोर परिश्रम करने से घबराता नहीं है और लड़ाका बन जाता है।

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लगातार दृढ़ निश्चय से इंसान प्रतिबद्ध रहता है और जीवन के अंतिम लक्ष्यों को प्राप्त करने में सफल होता है। चुनौतियों पर विजय प्राप्त कर, कभी ना हारने की आदत इंसान के जीवन में सफलता सुनिश्चित करती है। लगातार मज़बूत होता आत्मविश्वास शनैः शनैः जुनून में परवर्तित हो जाता है। जुनून इंसानी तेवर को आक्रामक बनाता है और लक्ष्य प्राप्ति सुगम हो जाती है।

दृढ़ निश्चय की विशेषता जन्मजात नहीं होती, इसे विकसित किया जा सकता है। जीवन में कुछ अहम तथ्यों को आत्मसात् करने से दृढ़ निश्चय में वृद्धि की जा सकती है। सर्वप्रथम मानसिक संतुलन बनाये रखना सर्वोपरी है। समस्या का त्वरित निदान तनाव और अवसाद को कम करता है।

अगर मन शांत है तो तन स्वस्थ रहता है। तन स्वस्थ रहने से इंसान अपने अंतर्निहित क्षमताओं का पूर्ण रूप से उपयोग कर पाता है। अपनी सारी ऊर्जा लक्ष्य पर केंद्रित करता है। इससे सफलता अवश्यंभावी हो जाती है। दृढ़ निश्चय के लिए शांत और संजीदा होना ज़रूरी है। त्वरित प्रतिक्रिया से नुक़सान होता है और असफलता की संभावना बढ़ जाती है।

उद्देश्य प्राप्ति के मार्ग में रुकावट डालने वालों की तादाद बढ़ जाती है। याद रहे हरेक असफलता इंसान की हिम्मत तोड़ती है। उसे मानसिक तौर पर प कमजोर करती है। अपनी असफलता के लिए वातावरण को दोषी ठहराना इंसान की दृढ़ निश्चय की आदत को ध्वस्त कर देता है।

वर्तमान में जीने की आदत भी दृढ़ निश्चय बढ़ाने में सहायक है। ज़्यादातर इंसान यादों की ज़ंजीरों से बंधे रहते है। समय गतिमान है और गुजरा हुआ वक्त कभी वापस नहीं आता। भूतकाल में जीने वाले इंसान का भविष्य निराशा से भरा होता है।

कभी किसी इंसान के बीते कल में सुधार नहीं होता। इन आदतों से केवल उसका समय बर्बाद होता है और वो ज़िंदगी की दौड़ में पिछड़ जाता है।

मनुष्य को दृढ़ निश्चय की अहमियत जितनी जल्दी समझ आ जाए बेहतर होगा। इसे आत्मसात् कर अनवरत प्रयास करने से जीवन सार्थक और श्रेयस्कर बन सकता है। यही सही मायनों में प्रभु प्रदत्त अनमोल जीवन का सदुपयोग है और जीवन का फ़लसफ़ा भी।

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