पत्रकार राजेश मिश्रा की कलम से
भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ने की मुहिम के साथ राजनीति में अरविंद केजरीवाल सत्ता में आए और बदलते जमाने के साथ वह आज खुद भ्रष्टाचार के आरोप में बुरी तरह घिर गए।
दो अक्टूबर 2012 को अरविंद केजरीवाल ने राजनीति में आने की घोषणा की।दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल आबकारी नीति 2021-22 में शराब कारोबारियों को गलत तरीके से फायदा पहुंचाने का आरोप लगा।
और केजरीवाल को कथित शराब घोटाले में प्रवर्तन निदेशालय ईडी ने आबकारी नीति से जुड़े मनी लांड्रिंग मामले में बृहस्पतिवार रात को गिरफ्तार कर लिया।
यह वही अरविंद केजरीवाल है जो अन्ना हजारे के आंदोलन में चिकनी चुपड़ी बातें कर राजनीति के ऊंचा मुकाम हासिल कर आम जनता के बीच गहरी पैठ बनाई और राजनीति के खुले मंच से मुफ्त की रेवड़ियां कि घोषणा कर लोगों के बीच खूब चर्चा में रहें।
और खुद ही भ्रष्टाचार के आरोप में जेल चले गए। भारतवर्ष में कई प्रकार की राजनीतिक पार्टियों के द्वारा आम जनता के हक दिलाने को लेकर जोड़-तोड़कर अलग पार्टी के बनाई गई। लेकिन खुद ही भ्रष्टाचार के आरोप में घिर गये तो जनता की समस्याएं का कैसे हाल कर सकेंगे। समाजसेवी अन्ना हजारे ने भी अरविंद केजरीवाल के नीतियों का खुलकर विरोध किया था।
दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल जनता मुंगेरीलाल के हसीन सपना दिखाकर जरूर सत्ता में आए,लेकिन बालू की दीवार ज्यादा टिकाऊ नहीं होती। आखिरकार भर भरा कर गिर ही जाती है।
उनका भी यही हश्र हुआ और जेल चले गए।हालांकि विरोधियों के द्वारा जरूर आरोप लगाए जाते हैं कि यह सब कार्य बीजेपी के इशारे पर ईडी कर रही है।
लेकिन किसी शायर ने कहा है सच्चाई छुप नहीं सकती बनावट के वसूलों से और खुशबू आ नहीं सकती इन कागज के फूलों से, आखिर यह कैसे हो सकता है कि बिना सबूत के मुख्यमंत्री पद पर बैठे व्यक्ति को ईडी जेल भेज दे।