शिक्षकों को 5 बजे तक विद्यालय में उपस्थिति का आदेश पूरी तरह अलोकतांत्रिक और गैर जिम्मेदाराना,आलोक कुमार सिंह

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भाजपा जिलाकोषाध्यक्ष सह विधान पार्षद प्रतिनिधि आलोक कुमार सिंह ने सरकार के इसारे पर शिक्षा विभाग द्वारा दिये तुगलकी निर्णय हिन्दू त्योहारों में कटौती , एवं शिक्षकों को 5 बजे तक विद्यालय में उपस्थिति का आदेश पूरी तरह अलोकतांत्रिक और गैर जिम्मेदाराना बतलाया । श्री सिंह ने कहा कि एक तरफ सरकार एक धर्म विशेष के लोगो को खुश करने की नियत से सनातन धर्म का अपमान भाजपा किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं करेगी।

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हिंदुओं के त्योहारों, राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी की जयंती, सम्राट अशोक की जयंती पर छुट्टी रद्द करके नीतीश बाबू ने लोकतंत्र को शर्मशार करने का काम किया। वही दूसरी तरफ शिक्षकों की समस्याओं को नजर अंदाज कर प्रातः 9 बजे से संध्या 5 बजे तक विद्यालय में उपस्थिति का आदेश पूर्णतः अव्यवहारिक है , ग्रामीण क्षेत्र के चरैया , मुड़गड़ा , ढाबी , दुलारे , बरंडा रामपुर के सुदूर दक्षिणी क्षेत्र के ग्रामीण विद्यालयों सहित नवीनगर , कुटुंबा जैसे उग्रवाद नक्सलबाड़ी क्षेत्र के शिक्षकों की स्थिति अत्यंत गंभीर सी है। उक्त क्षेत्र में शिक्षकों को आवासन ,सुरक्षा एवं अन्य पारिवारिक मूलभूत सुविधाओं से जूझना पड़ रहा।

सरकार को ऐसे निर्णय से पहले आवासन के साथ ही समुचित सुरक्षा जैसे व्यवस्था पर विचार करना चाहिये था । जिस प्रकार प्रशासनिक पदाधिकारियों को राज्य सरकार आवासन , सुरक्षा प्रहरी , के साथ ही आवश्यक पदाधिकारियो को अर्दली की सुविधा देती है उसी प्रकार शिक्षकों को भी सुविधा बहाल करे ताकि सभी शिक्षक मानसिक रूप से मजबूत हो कर अपने दायित्वों को निर्वहण कर सके।

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मुख्यमंत्री के इशारे पर शिक्षा विभाग लगातार ऐसे आदेश जारी कर रहा है, जिनसे स्कूली शिक्षक ही नहीं, कालेज-विश्वविद्यालय के शिक्षकों तक के लोकतांत्रिक अधिकारों का हनन हो रहा है और वे अपमानित अनुभव कर रहे हैं। शिक्षा विभाग के तानाशाही रवैये के विरुद्ध शिक्षक संगठनों के सामने आंदोलन करने के अलावा कोई रास्ता नहीं बचा है।

उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार ने जिन्हें शिक्षा विभाग का अपर मुख्य सचिव (एसीएस) बनाया है, वे किसी भी विभाग में एक साल से अधिक नहीं टिके। उनके इस विभाग से भी जाने का समय आ गया है। उन्होंने शिक्षा मंत्री का ऐसा अपमान किया कि वे 26दिन तक कार्यालय नहीं गए।

शिक्षा विभाग के अफसरों का मन इतना बढ़ गया है कि अब वे विश्वविद्यालय शिक्षकों के संगठन ” फूटा ” के महासचिव और कालेज शिक्षक-सह- विधान परिषद सदस्य संजय कुमार सिंह के बयान देने पर उनका वेतन रोकने का आदेश जारी कर रहे हैं। ऐसे आदेश बिना नीतीश कुमार की सहमति के जारी नहीं हो सकते।

उन्होंने कहा कि शिक्षकों को सामूहिक नियुक्ति पत्र देकर सरकार ने केवल अपनी ब्रांडिंग का मकसद पूरा किया, उसे शिक्षकों की कोई चिंता नहीं।

घमंडिया गठबंधन की सरकार को इस मुगलिया एवं तुगलकी फरमान को वापस लेना ही पड़ेगा।

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