औरंगाबाद: रफीगंज प्रखंड के बहादुरपुर गांव स्थित सम्राट अशोक चौक पर महान सम्राट अशोक की जयंती मनाई गई. अध्यक्षता समाजसेवी राहुल मौर्य व संचालन अरुण मौर्य ने की. इस दौरान सभी लोगो ने सम्राट अशोक की प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित कर सच्ची श्रद्धांजलि दी. उपस्थित वक्ताओं ने सम्राट अशोक के जीवन पर प्रकाश डालते हुए कहा कि चक्रवर्ती सम्राट अशोक भारतीय मौर्य राजवंश के महान सम्राट थे. इनका कार्यकाल ईसा पूर्व 269 से 232 ईसवी तक रहा.
सम्राट अशोक ने उत्तर में हिदू कुश तक्षशिला की श्रेणियों से लेकर दक्षिण में गोदावरी नदी सुवर्ण गिरी पहाड़ी के दक्षिण में मैसूर तक तथा पूरब में बांग्लादेश, पाटलिपुत्र से पश्चिम में अफगानिस्तान, ईरान व बलूचिस्तान तक अपनी सत्ता कायम की थी. सम्राट अशोक का नाम संसार के महानतम व्यक्तियों में गिना जाता है. सम्राट अशोक को चक्रवती सम्राट अशोक कहा जाता है, जिसका अर्थ है सम्राटों में सम्राट और यह स्थान केवल राजा सम्राट अशोक को मिला है.
राजा सम्राट अशोक जी को बौद्ध धर्म प्रचारक के नाम से भी जाना जाता है. कहा कि भारत का बच्चा-बच्चा जानता है कि भारत में एक यशस्वी सम्राट हुआ है जिस का नाम अशोक था. पूरी दुनिया उसे अशोक महान के नाम से जानती है. बौद्ध सम्राट अशोक को प्रियदर्शी सम्राट कहा जाता है. कहा कि अशोक अपने समय में दुनिया के महानतम सम्राट हुए हैं.
अशोक ने स्वतंत्रता, समता, न्याय पर आधारित सामाजिक व्यवस्था का निर्माण किया. उनके राज्य में ही भारत को सोने की चिड़िया कहा जाता था. नोबल पुरस्कार विजेता और प्रसिद्ध अर्थशास्त्री डॉ. अमर्त्य सेन के अनुसार सम्राट अशोक के समय में दुनिया की अर्थव्यवस्था में भारत की भागीदारी 35 प्रतिशत थी और सम्राट अशोक के राज्य के दौरान भारत वैश्विक (ग्लोबल) महाशक्ति था.
इस दौरान विनय प्रसाद उर्फ मिट्ठू मुखिया, दीपनारायण सिंह, सुरेंद्र प्रसाद, सोनू कुमार वर्मा, सोनू कुशवाहा, रिषि कुशवाहा, इंदल कुमार, सिपाही सिंह, रामस्वरूप मेहता, सम्राट सिंह, यशवंत कुमारज़ रामजन्म महतो, प्रवीण कुमार मौर्य, अमन कुशवाहा समेत अन्य मौजूद थे.