राजेश मिश्रा
लोकसभा चुना को लेकर सियासी सरगर्मियां तेज हो गई है। राजनीति दलों के द्वारा एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप के साथ-साथ नेताओं के दलबदल का क्रम भी जारी है।पहले चरण के मतदान के लिए राजनीतिक दलों के द्वारा अपने क्षेत्र में जनसंपर्क अभियान तेज कर दी गई है। बिहार के पूर्णिया सीट सबसे हॉट मानी जा रही है।
क्योंकि यहां से पप्पू यादव ने निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में नामांकन किया है।बिहार में जन अधिकार पार्टी के सुप्रीमो राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव ने अपनी पार्टी का कांग्रेस में विलय कर दिया था जबकि उनकी प्रमुख रूप से मांगे थी कि वह जब भी चुनाव लड़ेंगे तो पूर्णिया से ही चुनाव लड़ेंगे।
ऐसे में सवाल उठता है कि कांग्रेस में विलय के बाद भी जन अधिकार पार्टी के सुप्रीमो टिकट का न मिलाना इसे सियासी समीकरण समझे या कुछ और बिहार में कांग्रेस की क्या स्थिति है जग जाहिर है लेकिन अपने फैसले के कारण ही कांग्रेस पार्टी को बड़ा नुकसान उठाना पड़ सकता है।
सवाल तो उठेंगे ही जब पहले से ही सारी बातें तय थी तो फिर अचानक राजद ने पूर्णिया सीट से बीमा भारती को अपना उम्मीदवार बनाकर टिकट देकर अपनी मनसा साफ कर दी है। लेकिन दूसरी बात यह भी है कि अगर पप्पू यादव ने पूर्णिया की हॉट सीट माने जाने वाली पर विजय प्राप्त कर ली तो लालू की विरासत पर एक नई बहस छिड़ जाएगी और जाप सुप्रीमो एक मजबूत नेता बनकर उभरेंगे।
दूसरी और कन्हैया कुमार को भी बिहार से टिकट न मिलना यह स्पष्ट संकेत है कि लालू प्रसाद यादव नहीं चाहते कि युवा नेता अपनी बिहार में राजनीतिक जमीन तैयार करें। वह दिन हुआ करते थे जब देश में कांग्रेस की लहर थी हर तरफ हाथ का इशारा हुआ करता था लेकिन अपने ही लिए गए निर्णय से कांग्रेस पार्टी की हाथ कमजोर होते चली गई।