बिहार सरकार के उदासीन रवैया के कारण ऐतिहासिक टेकारी किला विलुप्त के कगार पर

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सांसद- विधायक ने विकास के नाम पर दिखाए सिर्फ मुंगेरीलाल के हसीन सपने

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पत्रकार राजेश मिश्रा की कलम से

गया।जिले से महज 26 किलोमीटर दूरी पर स्थित ऐतिहासिक टेकारी राज का किला बिहार सरकार के उदासीन रवैया के कारण अपनी पहचान खोने के कगार पर पहुंच गया है।हालांकि बिहार सरकार के द्वारा इसे संरक्षित करने के उपाय तो किए गए लेकिन अब काफी देर हो चुकी है। यह संभवत सिर्फ फाइलों में ही सिमट कर रह जाएगी क्योंकि किला के जर्जर भवनों को देखकर तो ऐसा ही प्रतीत हो रहा है।

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स्थानीय नागरिक रजनीश वाजपेई के अनुसार इस किले को इस स्थिति में पहुंचने के लिए राजघराने के वंशजों ने भी कोई कसर न छोड़ी और राजकुमारी भुनेश्वरी कुंवर के वंशजों ने किला के जमीन को कौड़ी के भाव में बेचकर निपटारा कर दिया, हलाकी रजनीश वाजपेई के अनुसार बताया गया कि राजघराने के समय में हमारे दादाजी उस समय सर्किल ऑफिसर सह सहायक प्रबंधक, टिकारी राज के पद पर नियुक्त थे। एवं कार्य क़ी देख रहे किया करते थे।

लेकिन दुर्भाग्य की बात है कि लुटिया उनके वंशज के द्वारा ही डुबो दी गई। उन्होंने यह भी बताया कि बिहार सरकार के पुरातत्व विभाग के द्वारा इसे संरक्षण तो प्रदान की गई लेकिन इसे कोई विशेष लाभ अब तक न मिल सका और यह टेकारी का किला पूरी तरह से बर्बादी के कगार पर पहुंच गया। विकास के नाम पर सिर्फ लोहे से बनी ग्रिल से चारदिवारी तो जरूर बना दिया गया है एवं पार्क का निर्माण कराया गया है।लेकिन पुरातत्व विभाग के द्वारा इसे भी पूर्ण रूप से नवीकरण एवं विकसित ना के बराबर किया गया। आज ऐतिहासिक टेकारी राज का किला

आज भी अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहा है। अगर बिहार सरकार के द्वारा इसे पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया जाता तो स्थानीय बेरोजगार लोगों को रोजगार उपलब्ध होता। परंतु यह अब तक संभव होता ना दिख रहा, वहीं रजनीश बाजपेई ने बिहार सरकार से शेष जल्द से जल्द बच रहे टेकारी किले के अवशेषों को नवीकरण एवं मरम्मत कर इसे बचाने की गुहार लगाई है ताकि विलुप्त हो रहे इस ऐतिहासिक किले को बचाया जा सके।

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