मगध विश्वविद्यालय के स्नातकोत्तर भूगोल विभाग एवं आंतरिक गुणवत्ता आश्वासन प्रकोष्ठ (आईक्यूएसी) के संयुक्त तत्वावधान में विशेष व्याख्यान का आयोजन राधाकृष्णन सभागार में किया गया। इस अवसर पर मुख्य वक्ता के रूप में मगध विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति तथा जामिया मिल्लिया इस्लामिया में 36 वर्षों तक अध्यापन करने वाले भूगोलविद प्रो (डॉ) मोहम्मद इश्तियाक ने ‘पर्यावरण बनाम विकास’ विषय पर व्याख्यान प्रस्तुत किया।
कार्यक्रम की शुरुआत अतिथियों द्वारा दीप प्रज्ज्वलन से हुई। डॉ मीनाक्षी के नेतृत्व में कुलगीत एवं स्वागत गान का आयोजन किया गया। कुलपति प्रो एसपी शाही ने मुख्य अतिथि सह वक्ता का स्वागत पुष्पगुच्छ, अंगवस्त्र एवं स्मृतिचिह्न प्रदान कर किया। विज्ञान संकायाध्यक्ष एवं कार्यक्रम के संयोजक प्रो वीरेंद्र कुमार ने कुलपति प्रो शाही का स्वागत पुष्पगुच्छ, अंगवस्त्र एवं स्मृतिचिह्न प्रदान कर किया। विश्वविद्यालय के कुलानुशासक एवं भूगोल विभाग के प्राध्यापक प्रो उपेंद्र कुमार ने प्रति-कुलपति का स्वागत किया।
प्रो. वीरेंद्र कुमार ने स्वागत भाषण देते हुए मंचासीन अतिथियों एवं सभागार में उपस्थित सभी आगंतुकों का अभिनंदन किया। प्रति-कुलपति प्रो बीआरके सिन्हा ने अपने वक्तव्य में वर्तमान पीढ़ी के बीच पर्यावरणीय विमर्श को प्रसारित करने में ऐसे कार्यक्रमों की भूमिका पर प्रकाश डाला। उन्होंने पर्यावरण और विकास के बीच संतुलन स्थापित करने की आवश्यकता को रेखांकित किया।
कुलसचिव डॉ बिपिन कुमार ने अनियोजित नगरीकरण से उत्पन्न संसाधनों पर दबाव को नियंत्रित करने हेतु सतत पोषणीय विकास मॉडल को अपनाने तथा ग्रामीण क्षेत्रों से हो रहे एकतरफा प्रवास को सही दिशा देने पर बल दिया। मुख्य वक्ता प्रो मोहम्मद इश्तियाक ने विषय की जटिलताओं को सरल भाषा में श्रोताओं के समक्ष प्रस्तुत किया। उन्होंने मानवजनित आपदाओं में वृद्धि और उनसे होने वाली अपूरणीय क्षति को रोकने के लिए परंपरागत और तकनीक-आधारित नवाचारों के उपयोग की आवश्यकता पर बल दिया।
उन्होंने कहा कि विकास और पर्यावरण परस्पर विरोधी न होकर, समन्वय स्थापित करने पर ही टिकाऊ विकास संभव है। उन्होंने पर्यावरण प्रदूषण को न केवल भौतिक चुनौती बल्कि सांस्कृतिक समस्याओं का कारण भी बताया, जिसके परिणाम दीर्घकालिक एवं अपरिवर्तनीय होते हैं। अध्यक्षीय भाषण में कुलपति प्रो एसपी शाही ने मुख्य अतिथि को विश्वविद्यालय की हालिया गतिविधियों एवं अकादमिक उपलब्धियों से अवगत कराया।
उन्होंने शिक्षकों एवं विद्यार्थियों के शैक्षणिक प्रयासों की सराहना की और पर्यावरणीय जागरूकता, कौशल विकास तथा समाधान हेतु सहभागिता के महत्व को रेखांकित किया। उन्होंने जलवायु परिवर्तन एवं ग्लोबल वार्मिंग से उत्पन्न चुनौतियों के समाधान हेतु संस्थागत प्रयासों पर प्रकाश डाला। कार्यक्रम का संचालन डॉ मौशमी (सहायक प्राध्यापिका) एवं राकेश कुमार (सहायक प्राध्यापक, स्नातकोत्तर भूगोल विभाग) ने किया।
धन्यवाद ज्ञापन आईक्यूएसी के समन्वयक प्रो मुकेश कुमार ने किया। इस कार्यक्रम में मगध विश्वविद्यालय के शिक्षकों सहित भूगोल विभाग के छात्र-छात्राओं एवं शोधार्थियों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया। कार्यक्रम के आयोजन में विभाग के शिक्षक डॉ. नीरज कुमार सिंह, डॉ पिंटू कुमार एवं डॉ लखभद्र सिंह नरूका का विशेष योगदान रहा।