जगजीवन राम देश के दिग्गज राष्ट्रीय स्तर के नेताओं में रहें अग्रणी  राष्ट्र के महानायक तथा संत रूपी थें राजनेता,कुलपति 

4 Min Read
- विज्ञापन-

गया।मगध विश्वविद्यालय, बोधगया अन्तर्गत शिक्षा विभाग के राधाकृष्णन सभागार में ” बाबू जगजीवन राम : कंट्रीब्यूशन इन द डेवलपमेंट ऑफ़ पोस्ट इंडिपेंडेंस इंडिया ” शीर्षक पर बाबू जगजीवन राम अकादमिक विचार मंच एवं आईक्यूएसी के तत्वाधान मे माननीय कुलपति प्रो0 एसपी शाही की अध्यक्षता में एक दिवसीय सेमिनार का आयोजन किया गया।

- Advertisement -
Ad image

इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि ललित नारायण मिथिला विश्विद्यालय, दरभंगा के राजनीति विज्ञान के पूर्व विभागाध्यक्ष एवं संकायाध्यक्ष प्रो जीतेन्द्र नारायण, प्रति संरक्षक प्रो बी आर के सिन्हा, प्रतिकुलपति उपस्थित हुए। कार्यक्रम का शुभारंभ बाबू जगजीवन राम के छाया चित्र पर माल्यार्पण एवं दीप प्रजव्वलन के साथ हुआ।

- Advertisement -
KhabriChacha.in

अपने अध्यक्षीय भाषण में माननीय कुलपति प्रो शाही ने बाबू जगजीवन राम को देश के दिग्गज राष्ट्रीय स्तर के नेताओं में अग्रणी बताया। उन्होंने कहा बाबू जी राष्ट्र के महानायक तथा संत रूपी राजनेता थे। भारत को उन पर गर्व है।

सामाजिक विज्ञान संकाय के संकायाध्यक्ष प्रो आर एस जमुआर ने अपने संबोधन में कहा कि नए भारत के निर्माण में बाबू जगजीवन राम की महत्वपूर्ण भूमिका रही। उन्होंने आजादी के बाद अर्थव्यवस्था को पुनः निर्मित करने में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया उनके लिए लोक सेवा, समाज हित तथा देश का उत्थान सर्वोपरी था।

प्रति- कूलपति प्रो0 सिन्हा ने कहा कि बाबू जगजीवन राम सामाजिक न्याय एवं लोकतंत्र के संस्थापक थे उन्होंने आजीवन अन्याय के खिलाफ संघर्ष किया तथा समतावादी विकास का प्रतिमान दिया।

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि जितेंद्र नारायण ने अपने संबोधन में कहा कि बाबू जगजीवन राम गांधी एवं सरदार पटेल के विचारों से प्रभावित थे। शैक्षणिक जगत ने बाबू जी के साथ न्याय नहीं किया है उन्हें जितनी मान्यता मिलनी चाहिए थी वह नहीं मिली।

बाबू जगजीवन राम अत्यंत मृदुभाषी, ताकतवर व्यक्तित्व, प्रखर बुद्धि तथा एक कुशल रणनीतिकार थे। संजय पासवान ने अपनी पुस्तक में बाबू के योगदान को रेखांकित किया है। देश की एकता हेतु सामाजिक ताना-बाना बने रहना अत्यंत महत्वपूर्ण होता है। बाबू जी राष्ट्रीय स्तर पर प्रथम दलित नेता थे जिन्होंने सामाजिक ताने-बाने को सुधारने का काम किया।

उन्होंने राष्ट्रहित को सर्वोपरि रखा। वे विभेदकारी नीतियों के विरोधी थे, हिंदू समाज के कर्मियों को दूर करने हेतु वह सदैव तत्पर रहते थे। आईक्यूएसी के समन्वयक प्रो मुकेश कुमार द्वारा स्वागत भाषण एवं समाजशास्त्र के डॉ प्रमोद कुमार चौधरी द्वारा विषय प्रवेश वक्तव्य दिया गया। कार्यक्रम के सह- समन्वयक फिजियोथेरेपी विभाग के डॉ बी पी नलिन, समन्वयक प्रो मुकेश कुमार तथा आयोजन सचिव डॉ पी के चौधरी थे। कार्यक्रम का संचालन डॉ दीपा रानी ने किया तथा धन्यवाद ज्ञापन डॉ अंजनी कुमार घोष ने किया।

इस अवसर पर लोक प्रशासन विभाग के प्रो इंचार्ज प्रो एहतेशाम खान, आयोजन समिति में डॉ कविता कुमारी, डॉ विजकान्त यादव, डॉ राजेश कुमार, पाली विभाग के डॉ० संजय कुमार, डॉ राम उदय प्रसाद, राधेश्याम ठाकुर, डॉ० ममता मेहरा, एकता वर्मा तथा अन्य विभाग के शिक्षक तथा शोधार्थी एवं विद्यार्थी उपस्थित रहे।

Share this Article

You cannot copy content of this page