मगध विश्वविद्यालय, बोधगया के प्रबंधन एवं गृह विज्ञान विभाग द्वारा “दिव्यांगता अभिशाप नहीं है एवं अंगदान का महत्त्व” विषय पर एक दिवसीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में विभिन्न प्रतिष्ठित अतिथियों ने अपने विचार साझा किए और समाज में दिव्यांगजनों के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण विकसित करने एवं अंगदान को बढ़ावा देने की आवश्यकता पर बल दिया।
पद्मश्री श्री बिमल जैन ने कहा कि दिव्यांगता कोई कमजोरी नहीं बल्कि आत्मबल को जागृत करने का अवसर है। हमें समाज में ऐसे परिवेश का निर्माण करना चाहिए जहाँ दिव्यांगजनों को समान अवसर मिले और वे अपने सपनों को साकार कर सकें। साथ ही, अंगदान एक महादान है, जिससे कई लोगों को नया जीवन मिल सकता है। हर व्यक्ति को इस विषय पर जागरूक होना चाहिए और अंगदान के लिए आगे आना चाहिए।
श्री सुनील आनंद ने अपने वक्तव्य में कहा कि समाज की प्रगति तभी संभव है जब हम हर व्यक्ति को समान अधिकार और सम्मान दें। दिव्यांग व्यक्तियों को सिर्फ सहानुभूति नहीं, बल्कि उनके सशक्तिकरण के लिए ठोस कदम उठाने की जरूरत है। शिक्षा, रोजगार और स्वास्थ्य के क्षेत्र में उनके लिए विशेष नीतियाँ बनाई जानी चाहिए। अंगदान एक पुण्य कार्य है,
जिससे हम किसी जरूरतमंद को जीवनदान दे सकते हैं। जागरूकता की कमी के कारण अभी भी कई लोग अंगदान से जुड़ने में हिचकिचाते हैं। यदि हम समाज में इसके प्रति सही संदेश दें, तो कई लोगों को नया जीवन मिल सकता है। मगध विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो एसपी शाही ने कहा कि विश्वविद्यालय का उद्देश्य सिर्फ शिक्षा प्रदान करना नहीं, बल्कि सामाजिक जागरूकता को भी बढ़ावा देना है। दिव्यांगजनों के प्रति संवेदनशीलता और अंगदान की संस्कृति को विकसित करना हमारी नैतिक जिम्मेदारी है।
ऐसे आयोजनों के माध्यम से हम समाज में सकारात्मक बदलाव ला सकते हैं। आइक्यूएसी समन्वयक प्रो मुकेश कुमार ने धन्यवाद ज्ञापन करते हुए कहा कि संगोष्ठी का उद्देश्य लोगों को प्रेरित करना और एक सकारात्मक वातावरण तैयार करना है,
जहाँ हम दिव्यांगजनों के प्रति अपनी सोच बदलें और अंगदान को एक जिम्मेदारी के रूप में स्वीकार करें। इस संगोष्ठी में विश्वविद्यालय के सभी शिक्षकों, शोधार्थियों और विद्यार्थियों ने भाग लिया।इस कार्यक्रम के समन्वयक डॉ गोपाल सिंह, निदेशक प्रबंधन विभाग तथा आयोजन सचिव डॉ दीपशिखा पांडेय , इंचार्ज गृह विज्ञान विभाग थी।