शंकराचार्य मठ के आशीर्वाद और सहयोग से मगध विश्वविद्यालय अस्तित्व में आया:कुलपति
गया।भारतीय शिक्षा और आध्यात्मिक परंपरा के समन्वय की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए, बोधगया शंकराचार्य मठ और मगध विश्वविद्यालय, बोधगया के बीच आज एक ऐतिहासिक समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किए गए। इस समझौते का उद्देश्य शैक्षणिक, सांस्कृतिक और आध्यात्मिक क्षेत्र में आपसी सहयोग को बढ़ावा देना है,
जिससे शोध कार्य को प्रोत्साहित किया जा सके और समाज के आर्थिक एवं आध्यात्मिक विकास में योगदान दिया जा सके। इस अवसर पर मगध विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो एसपी शाही, कुलसचिव डॉ बिपिन कुमार, विश्वविद्यालय के वरिष्ठ पदाधिकारी, वरीय शिक्षकगण एवं प्राचीन भारतीय एवं एशियाई अध्ययन विभाग के विभागाध्यक्ष एवं शिक्षकगण उपस्थित रहे।कुलपति प्रो एसपी शाही ने कहा कि शंकराचार्य मठ के आशीर्वाद और सहयोग से ही मगध विश्वविद्यालय अस्तित्व में आया है।
हमारा नैतिक दायित्व है कि हम इस सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण और संवर्द्धन में सहयोग करें। उन्होंने एक राष्ट्रीय विद्वत संगोष्ठी के आयोजन की घोषणा की, जिसमें मठ के ऐतिहासिक महत्व, उसकी वर्तमान स्थिति और भविष्य की योजनाओं पर मंथन किया जाएगा। साथ ही, विश्वविद्यालय के शोधार्थियों को मठ से संबंधित शोध कार्य करने और मठ में कक्षाओं के संचालन हेतु प्रेरित करने की बात
कही।मगध विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ बिपिन कुमार ने इस समझौते पर हर्ष व्यक्त करते हुए कहा कि यह समझौता विश्वविद्यालय और मठ के बीच वर्षों से औपचारिक मात्र रह गए संबंधों को पुनः सशक्त करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। यदि मठ की सहमति हो, तो विश्वविद्यालय उसके प्रबंधन में भी सहयोग कर सकता है, क्योंकि दोनों संस्थान एक-दूसरे के अभिन्न
अंग हैं। शंकराचार्य मठ के महंत जी ने अपने उद्बोधन में कहा कि शंकराचार्य मठ भारतीय दर्शन, वैदिक ज्ञान और आध्यात्मिक धरोहर के संरक्षण और प्रचार में समर्पित एक प्रतिष्ठित संस्था है। यह समझौता ज्ञान परंपरा के प्रचार-प्रसार को और मजबूत करेगा, जिससे समाज का सर्वांगीण उत्थान होगा।
यह समझौता बोधगया में शैक्षणिक और आध्यात्मिक समन्वय की दिशा में एक नई पहल है, जिससे शोध और अध्ययन को बढ़ावा मिलेगा और समाज को सांस्कृतिक एवं आध्यात्मिक रूप से समृद्ध करने के नए मार्ग खुलेंगे।