औरंगाबाद।सूर्य की पावन नगरी पर्यटन स्थल देव में पिछले कुछ दिनों से अंचल अमीन के द्वारा किये जा रहे नापी से उत्पन्न परिस्थिति के सम्बन्ध में
महोदय , सादर आग्रह है पूर्वक कहना है कि औरंगाबाद जिले की ऐतिहासिक एवं धार्मिक नगरी देव जिसे राज्य सरकार द्वारा पर्यटन स्थल घोषित किया है । देव में अचानक बिना किसी पूर्व सूचना के ही प्रख्यात सूर्य मन्दिर के इर्द गिर्द अंचल अमीन , राजस्व कर्मचारी , अंचलाधिकारी एवं अन्य के उपस्थिति में नापी कराया जा रहा ,
उक्त नापी के तहत वर्षो से रह रहे घरों का भी नापी कराया जा रहा है , देव एक छोटा सा जगह है , इसी भूमि पर प्रत्येक वर्ष कार्तिक एवं चैती छठ महापर्व पर मेला लगता है , तकरीबन प्रत्येक मेला में 10 लाख से अधिक श्रद्धालुओ का आगमन होता है । देव में किये जा रहे विषयांकित नापी प्रक्रिया से लोग भ्रम दहशत एवं आक्रोश में है ! इस संदर्भ में कुछ विंदुओं के तरफ भवदीय का ध्यानाकृष्ट करना चाहेंगे :–
1. यदि देव का विकास राज्य सरकार या जिला प्रशासन की प्राथमिकता है तो भी मानवीय मूल्यों और हितों की रक्षा आवश्यक है ।
2. देव के लोगो को नापी के पूर्व विकास के लिये तय पॉलिसी से अवगत कराना चाहिये ! अब तक जिला प्रशासन के द्वारा कराये जा रहे भूमि मापी से देव वासी भयाक्रांत भी है और दहशत में भी जी रहे !
3. देव विकास के लिये राज्य सरकार द्वारा क्या नीति बनायी गयी है उसे सार्वजनिक किया जाना आवश्यक है , क्योकि कोई भी विकास मानवीय हितों की अनदेखी कर नही हो सकती ! देव सूर्य मंदिर के इर्द गिर्द या पूरे देव में एक भगोलिक संरचना वर्षो से खड़ा किया गया है , जिस संरचना से ही देव वासियो की आजीविका की पूर्ति हो रही ! देव के लोगो को जीने का साधन या साध्य मात्र और केवल मात्र सूर्य मंदिर / सूर्य कुंड तालाब के निमित लगने वाला छठ महापर्व का मेला या प्रत्येक रविवार , मंगलवार को आने वाले श्रद्धालुओं की उपस्थिति से अर्जित आय ।
4. सूर्य मंदिर देव ही देव वासियो का एक मात्र आय का सशक्त माध्यम है , इसी निमित फूल माला , प्रसाद से जुड़े लोग , होटल व्यवसायी से जुड़े लोग , सौंदर्य प्रसाधन के व्यवसाय स जुड़े लोग , पूजा पाठ का व्यवसाय , और सबसे बड़ी बात है कि छठ महापर्व के अवसर पर आने वाले छठव्रतियों ,
श्रद्धालुओ को प्रायः सभी लोग स्वयं कष्ट में रह कर भी सभी आगन्तुको को आवासन , पेयजल , और पर्याप्त परस्परता को बांटते है जो अपने आप मे अनूठा है । छठ महापर्व के अवसर पर शायद ही कोई ऐसा घर और कोना होगा जो छठव्रतियों की सेवा में समर्पित नही होता होगा ।
5. देव का सरकारी जमीन जिसे लोग मेला मैदान , मेला लगने वाले स्थान के रूप में चिन्हित किया गया है उसका अतिक्रमण सरकार के द्वारा ही किया जाता रहा है , उदाहरण स्वरूप मेला मैदान में सरकार द्वारा थाना भवन बनाया गया , पीएचडी विभाग द्वारा पानी टंकी का
निर्माण कराया गया , नव गठित नगर पंचायत के लिये प्रस्तावित प्रशासनिक भवन का प्रस्ताव पारित किया जाना , देव में जिलापरिषद का निरीक्षण भवन और उसका विस्तारीकरण , देव सूर्य कुंड तालाब परिसर में कई अनावश्यक निर्मित भवन , सड़क किनारे अवैध अतिक्रमण ऐसे कई उदाहरण है ।
महोदय ऐसे कई कारण है जिस पर प्रशासनिक अधिकारियों को राज्य सरकार को सम्वेदना के साथ विचार करना चाहिये । देव का विकास हर देव वासियो की अभिलाषा भी और मांग भी किंतु विकास के नाम पर वर्षो से रह रहे लोगो के हितों की रक्षा आवश्यक है । देव में कई ऐसे परिवार है जो सड़क किनारे ही रह कर सैकड़ो
वर्षो अपने परिवार का भरणपोषण कर रहे , अपने कमाई का तिनका तिनका जुटा कर रहने का आसरा बनाया जिसे जिला प्रशासन के नापी प्रक्रिया से उजड़ने का भय व्याप्त हो गया है , जिला प्रशासन को स्पष्ट करना चाहिये कि उनकी नीति क्या है ? नापी की जद में आने वाले विस्थापितों की पुनर्वासन की नीति क्या है ? मुआवजा की क्या आधार तय किया गया है ?
आपके गलत रवैये से वैसे लोग पूरी तरह दहशत में है , लोगो के सामने जीवन मरण का स्थिति बन रहा है ।
अतः आग्रह है कि उपरोक्त विंदुओं पर धयान देते हुये देव के विकास में मानवीय पहलुओं की अनदेखी न की जाये । अंत मे ….
विनम्र निवेदन है , विकास के नाम पर विनास की पटकथा नही लिखा जाये , देव वासी के हितों की रक्षा के लिये प्राणपण से हम सब एकजुट हो कर मानवीय हितों की रक्षा के संकल्पित रहेंगे !