एसी-एसटी कोटा में क्रीमीलेयर का फैसला गैर संवैधानिक पूर्व मंत्री 

3 Min Read
- विज्ञापन-

औरंगाबाद।बिहार सरकार के पूर्व मंत्री एवं राष्ट्रीय जनता दल के प्रदेश उपाध्यक्ष डॉ सुरेश पासवान ने कड़ी नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा है कि सुप्रीम कोर्ट के संविधान पीठ द्वारा अनुसूचित जाति- जनजाति को मिल रहे आरक्षण को क्रीमीलेयर में लाने हेतु राज्यों को जो अधिकार दिया गया है वह न सिर्फ असंवैधानिक है वल्कि संविधान के मूल भावना के विपरित है।

- Advertisement -
Ad image

अनुसूचित जाति -अनुसूचित जनजाति का आरक्षण आर्थिक आधार पर नहीं दिया गया वल्कि जातिगत, समाजिक, छुआछूत एवं अस्पृश्यता के आधार पर डॉ बाबासाहेब भीमराव अम्बेडकर साहब ने लड़कर संविधान में प्रावधान स्थापित करवाया था। इसीलिए किसी भी किमत पर कोटा वीदीन कोटा यानी क्रीमीलेयर के अंदर लाया ही नहीं जा सकता है।

डॉ पासवान ने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट के जिन जजों के द्वारा इस तरह का जो फैसला दिया है वह कहीं न कहीं उनके मानसिकता को दर्शाता है। फैसले में यह कहा जाना कि जिसको एकबार आरक्षण का लाभ मिल गया उसको क्रिमिलेयर के दायरे में बाहर आ जाना चाहिए। मैं पुछना चाहता हूं कि क्या एकबार आरक्षण का लाभ मिलने के बाद सामाजिक, छुआछूत से वह परिवार बाहर हो जाएगा,

- Advertisement -
KhabriChacha.in

क्या उसे सामान्य वर्गों के सूचि में स्थान मिल जाएगा।न्यायपालिका को पहले कोलिजियम सिस्टम पर पारदर्शी होकर फैसला करना चाहिए ताकि कुछ ही परिवार के लोगों को जो उच्च न्यायापालिकाओं में स्थान सुरक्षित किया गया है वह खत्म हो। और उच्च न्यायापालिकाओं में जजों के नियुक्ति हेतु संघ लोक सेवा आयोग की तरह एक अटोनोमस केंद्रीय न्यायीक आयोग का गठन किया जाना चाहिए। और उसी के माध्यम से उच्च न्यायापालिकाओं में जजों की नियुक्ति किया जाना चाहिए।

मैं भारत सरकार और खासकर देश के माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी से आग्रह करना चाहता हूं कि दलित -आदिवासी के आरक्षण को क्रीमीलेयर में लाने के फैसले के खिलाफ माननीय सर्वोच्च न्यायालय में रिवियू पीटीशन दायर करना चाहिए या इसी चलते सत्र में कानून बनाकर उस फैसले को निरस्त करना चाहिए,ताकि दलित -आदिवासीयों के 22.50% आरक्षण पर किसी तरह का आंच नहीं आ सके।

डॉ पासवान ने सर्वोच्च न्यायालय के एक फैसले का उदहारण देते हुए कहा है कि 2019 में भी एसी एसटी एक्ट के खिलाफ सर्वोच्च न्यायालय द्वारा इसी तरह का गैर संवैधानिक फैसला दिया गया था, जिसके खिलाफ में देश भर के एसी एसटी संगठनों के साथ साथ कई राजनीतिक दलों के समर्थन से 2 अप्रैल 2019 को भारत बंद का आह्वान किया गया था जो न सिर्फ पुरा देश ऐतिहासिक बंद हुआ बल्कि उस भारत बंद को दुनिया भर के अखबारों ने इतना सफल आंदोलन बताया की तत्कालीन मोदी सरकार को अध्यादेश लाकर उस कानून को निरस्त करना पड़ा।

Share this Article

You cannot copy content of this page