सिविल वादों के सुनवाई में शिथिलता से जमीनी विवाद बनेंगे राष्ट्रीय मुद्दा

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औरंगाबाद।अधिवक्ता सतीश कुमार स्नेही ने बताया कि विगत एक दशक से न्यायालय में सिविल वादों के निष्पादन में कमी आई है, जिससे न्यायलयों में लम्बित सिविल वादों के अम्बार लग गई है, वादों के सुनवाई और निष्पादन में अनिश्चिता बनी रहती है, जिसके कारण युवा अधिवक्ताओं को भी सिविल वादों से ज्यादा आपराधिक वादों में वकालत करना पसंद कर रहे हैं,

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हर जिले में अच्छी संख्या में सबजज न्यायालय की आवश्यकता है जहां सिर्फ दीवानी मामलों की सुनवाई हो, वकालत में पचास साल पुरे कर चुके जिला विधिज्ञ संघ औरंगाबाद के वरीय अधिवक्ता कृष्णा प्रसाद ने बताया कि जिला विधिज्ञ संघ औरंगाबाद के इतिहास में सैकड़ों प्रसिद्ध वरीय अधिवक्ता रहे हैं इंद्रभूषण सहाय, कामता अग्रवाल,कमला प्रसाद,नरसिंह नारायण सिंह,

रामकृपाल सिंह, अम्बिका प्रसाद,हबीब बाबू,सरयु बाबू, प्रियंबत बाबू, नंदकिशोर नारायण लाल,राम केवल सिंह,हबिबुर रहमान, देवेश बाबू,द्वारिका प्रसाद, विष्णु शर्मा, हफीजुर्रहमान,जग नारायण सिंह, सीता राम सिंह, गंगाधर पाठक, बनारसी प्रसाद नागेंद्र पांडे सहित अन्य के समय में बड़ी संख्या में दीवानी वादों का निष्पादन हुआ था।

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