औरंगाबाद।उर्दू निदेशालय, मंत्रिमण्डल सचिवालय विभाग, बिहार सरकार के योजनान्तर्गत जिला उर्दू भाषा कोषांग, समाहरणालय, औरंगाबाद के द्वारा दिनांक-25.02.2025 को समाहरणालय, औरंगाबाद परिसर स्थित नगर भवन (टॉन हॉल) में 10:30 बजे दिन से जिला स्तरीय उर्दू कार्यशाला, फरोग-ए-उर्दू सेमिनार एवं मुशायरा का आयोजन किया गया।
समारोह का उद्घाटन जिला पदाधिकारी, औरंगाबाद द्वारा द्वीप प्रज्जवलित करके किया गया जिसमें अन्य पदाधिकारी एवं गणमान्य अतिथि भी उपस्थित थे।
उक्त कार्यक्रम के पहले सत्र में जिला उर्दू भाषा कोषांग, औरंगाबाद द्वार मुद्रित एवं प्रकाशित जिला उर्दू नामा, औरंगाबाद-2024-2025 का विमोचन के पश्चात श्री मो० गजाली, प्रभारी पदाधिकारी, जिला उर्दू भाषा कोषांग-सह-उप निर्वाचन पदाधिकारी, औरंगाबाद ने उर्दू भाषा एवं विभाग के कार्यक्रमों पर संक्षेप में प्रकाश डाला और उर्दू भाषा पर शेयरी अन्दाज में कहाकि लश्करियों के जाँ से निकली शीरी जबान है उर्दू तहजीब-ए-गंग व जमन की तर्जुमान है उर्दू।
श्री श्रीकान्त शास्त्री, जिला पदाधिकारी, औरंगाबाद ने अपने संबोधन में उर्दू भाषा के बारे में अर्ज करते हुए कहाकि वह फारसी हो के संस्कृत हो के हिन्दी हो, समी तो फूल हैं और सब का गुलिस्ताँ उर्दू। सेमिनार के विषय औरंगाबाद का शेयरी मंजरनामा (माजी और हाल के आईने में) पर सीनियर / जूनियर आलेख पाठकों द्वारा आलेख का पाठ किया गया जिसकी अध्यक्षता एस० सिंहा कॉलेज के पूर्व उर्दू विभागाध्यक्ष श्री डॉ० कासिम फरीदी द्वारा की गयी।
इस कार्यक्रम के दूसरे सत्र में मुशारा का आयोजन किया गया जिसमें औरंगाबाद, बिहार व अन्य जिला/राज्य के अहम एवं ख्याति प्राप्त शायरों यथा-मो० एकबाल अख्तर, मुस्तफा मुजतर, अंजुम आरा, मो० आफताब राना (निजामत), शब्बीर हसन शब्बीर, मो० निजामुद्दीन कादरी कुरैशी, दानिश मामून, फिरोज अख्तर, नसीर अहमद डा० जमशेद, सैयद मोहम्मद दायम, नूर आलम सिद्धिकी मोरिशर सिद्धिकी ने अपने कलाम से उर्दू प्रेमियों को झुमाया।