औरंगाबाद। भले ही राज्य सरकार के निर्देशानुसार शनिवार को छोटे-मोटे घरेलू एवं जमीनी विवाद को सुलह किए जाने को लेकर अंचलाधिकारी एवं थानाध्यक्ष के द्वारा जिले के प्रत्येक थानों में जनता दरबार लगाये जा रहें हों। मगर ऐसे विवाद सुरसा की मुंह की तरह बढ़ती ही जा रही है।
देखने को मिलता है कि कहीं कहीं दबंगों के द्वारा तो कहीं कहीं पुलिसिया संरक्षण में पल रहे भू माफियाओं के कारण विवाद और बढ़ते जा रहे हैं और मारपीट तथा हत्या की घटना आम होती जा रही है।मगर इस पर कारवाई ढाक के तीन पात वाली चरितार्थ हो रही है।
ऐसा ही एक मामला औरंगाबाद के मुफस्सिल थाना क्षेत्र के सैनिक चतरा गांव में गुरुवार की शाम देखने को मिला।जहां पुलिस के सहयोग से भू माफियाओं द्वारा जमीन कब्जा किया जा रहा था और उक्त कब्जे से मुक्त कराने को लेकर उस पर अपना हक बता रहे युवक को जब कही से कोई सहयोग नहीं मिला तो उसका धैर्य जवाब दे दिया तो अजीज आकर उसने जहर खाकर अपनी जीवन लीला समाप्त करने की कोशिश की।
युवक के द्वारा जहर सेवन किए जाने के बाद परिवार के सदस्यों ने आनन-फानन में उसे इलाज के लिए सदर अस्पताल लाया। जहां से प्राथमिक उपचार के बाद बेहतर इलाज के लिए उसे मगध मेडिकल कॉलेज गया रेफर कर दिया गया है।युवक की पहचान सैनिक चतरा गांव निवासी पूर्व विधायक स्व राम नरेश सैनिक के पोते एवं स्व जितेंद्र यादव के 30 वर्षीय पुत्र सुशील यादव के रूप में की गई है।
इलाज के दौरान सुशील ने बताया कि भू माफियाओं के द्वारा उसके जमीन का फर्जी तरीके से कागज बना लिया गया है और उक्त कागज को अंचलाधिकारी द्वारा भी सत्य करार दिया गया है। उसके बाद उसी के आधार पर पुलिस की मिलीभगत से जमीन को भू माफियाओं के द्वारा कब्जे में किया जा रहा है। इसको लेकर दो बार एसपी को भी कारवाई के लिए आवेदन दिया गया। मगर आवेदन दिए जाने के बाद भी उनके स्तर से कोई कारवाई नहीं हुई।
बताया गया कि गुरुवार को जब उक्त जमीन पर पुलिस की मौजूदगी में नापी कराकर पाइलिंग कराई जा रही थी। तो वहां मौजूद पुलिस अधिकारी ने सुशील की एक भी बात नही सुनी। सुशील ने इसकी जानकारी देकर जमीन कब्जे किए जाने की कारवाई के लिए एसपी को भी कई बार कॉल किया।
लेकिन एसपी का कॉल जब कई बार करने पर नहीं उठा तो उसका धैर्य जवाब दे दिया और उसने जहर खाकर अपनी जीवन लीला समाप्त करने की कोशिश की। परिजनों का कहना है कि बिना दंडाधिकारी एवं पुलिस बल की मौजूदगी में कैसे जमीन को कब्जे में कराने की कोशिश की गई। परिजनों ने पुलिस पर भी इस मामले में गंभीर आरोप लगाया है।
इलाज के दौरान सुशील ने बताया कि इस मामले में उसी पर छेड़खानी का आरोप लगाकर फर्जी मुकदमा कर दिया गया।हालांकि इस संदर्भ पुलिस अधीक्षक स्वप्न गौतम मेश्राम से जब बात की गई तो उन्होंने मामले को संज्ञान में लेकर जांच की बात की है।