दहेज दानव को समाप्त करने हेतु बेटियों को योग्य और आत्मनिर्भर बनाना जरूरी

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औरंगाबाद।जनेश्वर विकास केंद्र एवं जन विकास परिषद के सौजन्य से आदर्श विवाह जागरूकता समारोह 13 मई को संपन्न हो गया । दो सत्रों में आयोजित समारोह का उद्घाटन एमजी रोड स्थित दुर्गा गेस्ट हाउस में दीप प्रज्वलित कर मुख्य अतिथियों द्वारा किया गया । प्रथम सत्र में

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‘दे दिया घर की दीया ,फिर भी कहते कि क्या दिया ‘?विषय पर संगोष्ठी और आदर्श विवाह करने एवं कराने वाले व्यक्तियों अथवा संस्थाओं को सम्मानित किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता लेखक एवं संपादक डॉ सुरेंद्र प्रसाद मिश्र ने किया । सर्वप्रथम आगत अतिथियों का स्वागत संयोजक लालदेव प्रसाद, कविता विद्यार्थी, धनंजय कुमार सिंह एवं राजेंद्र सिंह ने पुष्प माल ,पुष्पगुच्छ एवं अंग वस्त्रं देकर किया।

तत्पश्चात संस्था के अध्यक्ष रामजी सिंह ने स्वागत भाषण दिये।

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संगोष्ठी का विषय -प्रवेश कराते हुए संस्था के सचिव सिद्धेश्वर विद्यार्थी ने बताया कि दहेज के कारण आज लिंगानुपात में भारी असमानता आ गयी है ।

1911 की जनसंख्या के अनुसार प्रत्येक एक हजार पुरुष पर मात्र नौ सौ छत्तीस महिलाएं ही थीं,पर अब यह असमानता और बढ़ गयी है, जो पारिवारिक सामाजिक संतुलन के लिए चिन्ता का विषय है । यह भविष्य में नयी समस्या की ओर इशारा कर रहा है । अतः इसपर अभी से ही ध्यान देने की जरूरत है । संगोष्ठी में बतौर मुख्य अतिथि पधारे सिंहा कॉलेज के प्राचार्य डॉ सुधीर कुमार मिश्र ने इस तरह के सकारात्मक प्रयास को अत्यंत ही सराहनीय बताया और कहा कि यदि हम सभी दृढ़संकल्प हो जायें तो दहेज रूपी कुप्रथा को मिटाया जा सकता है।

विशिष्ट अतिथि सीतयोग इंजीनियरिंग कॉलेज के संस्थापक अध्यक्ष और वरीय अधिवक्ता कुमार योगेंद्र नारायण सिंह , ज्योतिर्विद शिवनारायण सिंह, सिंहा कॉलेज भूगोल के पूर्व विभागाध्यक्ष डॉ रामाधार सिंह ,डॉ सुमन लता ,सुमन अग्रवाल और पू्र्व वार्ड कमिश्नर लक्ष्मी नारायण सिंह ,विधि संघ सचिव जगनारायण यादव ने एक स्वर से इस बात पर बल दिया कि अभी भी समय है ,हम अपनी बच्चियों को बेहतर शिक्षा दें,उन्हें आत्मनिर्भर बनायें और हमेशा सजग सचेष्ट रहकर दहेज कुप्रथा को मिटाने

की ईमानदार कोशिश करते रहें तो यह कुप्रथा निकट भविष्य में समाप्त हो जाएगी। कानूनी उपबंन्धों के अनुसार इस बुरे प्रचलन को समाज का कलंक बताया गया है। उक्त अवसर पर संस्कृत कालेज के प्राचार्य सुरजपत सिंह,प्रो दिनेश प्रसाद, कवि राम किशोर सिंह , लवकुश प्रसाद सिंह,डा हेरंब कुमार मिश्र, वेदप्रकाश तिवारी , प्रो भीम कुमार सिंह , भाजपा महिला मोर्चा अध्यक्ष अनिता सिंह , डा नेहा,पप्पू ज्वाला, नेभी अपने संबोधन में बताया कि यह एक कटु सत्य है कि दहेज को समाज ने प्रतिष्ठा से जोड़ दिया है जो बिल्कुल ही ग़लत है। दुल्हन को प्राथमिकता दिये जाने से दहेज समाप्त हो सकता है ।

अंत में अध्यक्ष डा सुरेंद्र प्रसाद मिश्र ने अध्यक्षीय उद्बोधन में कहा कि आज के इस सभ्य समाज की मांग है कि प्राथमिकता देकर, जन जागरूकता फैला कर इस कुप्रथा को मिटाने का संकल्प लें तभी सामाजिक विसंगति,बाल विवाह और बेमेल विवाह से छुटकारा पाया जा सकता है‌।

पुनः बगैर दहेज एवं तामझाम रहीत सामुहिक विवाह कराने वाले बासुकीनाथ सेवा संस्थान के अध्यक्ष बरुण कुमार सिंह, देव पर्यटन विकास केन्द्र के कंचन देव सिंह तथा जागरूकता अभियान चलाने वाले सामाजिक कार्यकर्ता भगवान राम को तथा बिना दहेज एवं बिना तामझाम के स्वयं विवाह करने वाले जलांशु कुमार पांडेय, नेहा पांडेय, मयंक कुमार,भूमि कुमारी, राजेश कुमार शौण्डिक, सुनीता कुमारी एवं राजु कुमार सिंह ,संजू सिंह को माल्यार्पण, अंगवस्त्रं और प्रमाण पत्र देकर सम्मानित किया गया।

दूसरे सत्र में परंपरागत विवाह -गीत और कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया ।जिसके लिए कवि डा हेरंब कुमार मिश्र, रामकिशोर सिंह, लवकुश प्रसाद सिंह, चंदन पाठक, उज्जवल रंजन, ,जलज जी, कलाकार सनोज सागर, और अरविंद सिन्हा को अंगवस्त्र ,माल्यार्पण और प्रमाण पत्र देकर सम्मानित किया गया।

समारोह में पूर्व पुलिस अधिकारी सिंहेश्वर सिंह, मुरलीधर पांडे, परता धाम अध्यक्ष अशोक सिंह, भाजपा नेत्री गुड़िया सिंह, सरस्वती देवी, उर्मिला सिंह , अधिवक्ता रामाश्रय पांडेय, यशवंत कुमार, संकट मोचन मंदिर शिवगंज सचिव गोकुल सिंह,अजय पांडेय, सतबहिनी मंदिर सदस्य मिथिलेश मेहता, मुखिया आमोद चन्द्रवंशी, पत्रकार अजय चौबे, राजकुमार रजक , रवीन्द्र पांडे मधुसूदन त्रिवेदी, वीरेंद्र कुमार सिंह, अधिवक्ता माता दीन पटनिया, प्रमोद सिंह, धीरेन्द्र सिंह पुरुषोत्तम पाठक

उपस्थित थे। अंत में बिना दहेज और बिना तामझाम के विवाह को बढ़ावा देने हेतु 1994 में सिद्धेश्वर विद्यार्थी और कविता विद्यार्थी ने स्वयं विवाह कर इसकी शुरुआत करने के लिए समकालीन जवाबदेही साहित्यिक संस्था द्बारा दोनों को माल्यार्पण और अंगवस्त्र देकर सम्मानित किया गया कार्यक्रम संयोजक लालदेव प्रसाद के धन्यवाद ज्ञापन के साथ कार्यक्रम समाप्त की गई।

 

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