गया मगध विश्वविद्यालय, बोधगया के स्नातकोत्तर भौतिकी विभाग द्वारा “फ्रंटियर्स इन अर्थ सिस्टम रिसर्च: द रोल ऑफ न्यूक्लियर टेक्नीक्स” विषय पर एक दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार का आयोजन किया गया। यह आयोजन विश्वविद्यालय के आंतरिक गुणवत्ता आश्वासन प्रकोष्ठ (IQAC) के तत्वावधान में दूरस्थ शिक्षा विभाग के राधाकृष्णन हॉल में संपन्न हुआ।
सेमिनार के मुख्य अतिथि बिहार सरकार के ग्रामीण कार्य विभाग के माननीय कैबिनेट मंत्री डॉ अशोक चौधरी , जबकि मुख्य वक्ता के रूप में प्रोफेसर अविनाश चंद्र पांडे, निदेशक, इंटर-यूनिवर्सिटी एक्सीलरेटर सेंटर, नई दिल्ली ने विचार व्यक्त किए। कार्यक्रम की अध्यक्षता मगध विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो एसपी शाही ने की। कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्ज्वलन और विश्वविद्यालय के कुलगीत से हुआ। कुलपति प्रो एसपी शाही ने सभी अतिथियों का स्वागत
किया और विश्वविद्यालय की हाल की उपलब्धियों को रेखांकित किया। उन्होंने बताया कि मगध विश्वविद्यालय ने हाल ही में 200 से अधिक सेमिनारों और 100 से अधिक परीक्षाओं का सफल आयोजन किया है। इसके अलावा, अनुसंधान विकास कक्ष की स्थापना को स्वीकृति मिली है और विश्वविद्यालय में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) सेंटर के निर्माण की प्रक्रिया चल रही है।
डॉ अशोक चौधरी ने सभा को संबोधित करते हुए मुख्य वक्ता का स्वागत किया और प्राकृतिक संसाधनों तथा मानव संसाधन प्रबंधन की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने हाल के महाकुंभ मेले का उदाहरण देते हुए बताया कि आधुनिक प्रौद्योगिकी ने किस प्रकार इस विशाल आयोजन के प्रबंधन में सहायक भूमिका निभाई। उन्होंने देश के समग्र विकास में वैज्ञानिकों और युवाओं की भूमिका को रेखांकित करते हुए अनुसंधान के महत्व को भी रेखांकित किया।
उन्होंने कहा कि बिहार के विकास के लिए वैज्ञानिक शोध और तकनीकी उन्नति अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। राज्य सरकार शिक्षा, तकनीकी अनुसंधान और बुनियादी ढांचे के विकास के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने यह भी कहा कि बिहार में कृषि आधारित अर्थव्यवस्था को वैज्ञानिक अनुसंधान और तकनीक की सहायता से और अधिक समृद्ध बनाया जा सकता है। राज्य सरकार ग्रामीण क्षेत्रों में डिजिटल तकनीक के प्रसार के लिए भी कई योजनाओं पर काम कर रही है,
जिससे किसानों और छोटे उद्यमियों को अधिक अवसर प्राप्त हो सकें। प्रो संतोष कुमार ने मुख्य वक्ता प्रोफेसर अविनाश चंद्र पांडे का परिचय दिया। अपने व्याख्यान में प्रो पांडे ने इंटर-यूनिवर्सिटी एक्सीलरेटर सेंटर, नई दिल्ली के इतिहास और कण त्वरकों (Particle Accelerators) के महत्व पर चर्चा की। उन्होंने छात्रों को शोध प्रस्ताव जमा करने और सेंटर की अत्याधुनिक सुविधाओं का लाभ उठाने के लिए आमंत्रित किया।उन्होंने कार्बन डेटिंग तकनीक, रेडियोन्यूक्लाइड्स और कॉस्मिक किरणों के
उपयोग और उनकी वैज्ञानिक प्रासंगिकता पर भी विस्तार से चर्चा की। कार्यक्रम में विभिन्न शिक्षाविदों, शोधार्थियों और विद्यार्थियों ने भाग लिया। विभागाध्यक्ष प्रो विजय कुमार वर्मा ने भी अपने विचार साझा किए और समापन सत्र में धन्यवाद ज्ञापन दिया। जिसमें सभी अतिथियों, आयोजकों और प्रतिभागियों का आभार व्यक्त किया गया।