औरंगाबाद। कुटुंबा थाना क्षेत्र के सिमरी बाला गांव में 19 जुलाई को शराब लदी मोटर साईकिल के साथ शराब तस्कर को उत्पाद विभाग की टीम के द्वारा खदेड़कर पकड़ा गया था। परंतु पकड़े जाने के बाद शराब तस्कर को छोड़ दिया गया और कोई कार्रवाई नहीं हुई। इस पूरे घटना की जानकारी ग्रामीण के द्वारा जदयू के जिला उपाध्यक्ष ओंकारनाथ सिंह को दी गई।
जानकारी मिलते ही जिला उपाध्यक्ष श्री सिंह द्वारा इस घटना की सूचना औरंगाबाद उत्पाद अधीक्षक को दी गई और एक आवेदन देकर मामले की छानबीन कर दोषियों के विरुद्ध कार्रवाई करने का आग्रह किया गया।
उत्पाद अधीक्षक को अपने द्वारा दिए गए आवेदन में जिला उपाध्यक्ष ने यह भी बताया कि पूरे मामले की डील 80 हजार में की गई और सरकार के ड्राई स्टेट के सपने को तार तार किया गया। लेकिन दुर्भाग्य इस बात की है कि सारे सबूत और ऑडियो तथा विडियो रिकॉर्डिंग उपलब्ध कराने के बाद भी अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई।
जिला उपाध्यक्ष श्री सिंह ने बताया कि उत्पाद अधीक्षक को पूरी जानकारी दी गई और यह भी बताया गया कि इस मामले में उत्पाद दारोगा सकलदेव कुमार एवं जिस स्कार्पियो वहां से तस्कर को खदेड़ा गया था उसका चालक बिट्टू कुमार ने पैसा लेकर मोटरसाइकिल चालक, शराब और शराब तस्कर को छोड़ दिया गया।
उन्होंने बताया कि यह जानकारी शराब तस्कर द्वारा ही मुझे दी गति और उसके बातचीत की ऑडियो रिकॉर्डिंग भी मेरे पास उपलब्ध है। सारे प्रमाण देने के बाद भी उत्पाद अधीक्षक के द्वारा न तो इस दिशा में कोई कार्रवाई की गई और न ही इस मामले में कोई रुचि दिखाई जा रही है।
जिला उपाध्यक्ष ने बताया कि जब इस बारे में उनसे फोन पर बात हुई तो उन्होंने कहा कि आप तो जानते ही है कि ये काम अकेले नहीं होता है। सब एक ही थाली के चट्टे बट्टे हैं आपस में मिल बांट लेते है।रिपोर्ट में क्या देगा। यही देगा कि कुछ नही पकड़ा गया। जिसकी ऑडियो रिकॉर्डिंग भी उपलब्ध है।
जिला उपाध्यक्ष ने कहा कि एक जिम्मेवार पदाधिकारी के द्वारा इस प्रकार के रिस्पॉन्स की उम्मीद नहीं थी। ऐसा लगता है कि उत्पाद विभाग का पूरा तंत्र इस मामले में संलिप्त है। उन्होंने कहा कि अब पूरे मामले को ऊपर ले जाया जाएगा।ताकि माननीय मुख्यमंत्री की शराब नीति धरातल पर सही रूप से उतर सके।
हालांकि जब इस संबंध में उत्पाद अधीक्षक के मोबाइल नंबर 9473400610 पर बात की गई तो उन्होंने बताया कि आरोप बिल्कुल ही बेबुनियाद है ऐसा कोई मामला नहीं है। आरोप की इंक्वायरी कराई गई थी। जिससे आरोप की पुष्टि नहीं हुई है। उन्होंने जो साक्ष्य दिया वह कही प्रमाणित नहीं होता।