जर्नलिस्ट राहुल कुमार मिश्रा की खास रिपोर्ट
काराकाट
काराकाट सीट को कुशवाहा जाति का किला कहा जा सकता है।यहां से एनडीए की ओर से चुनाव लड़ रहे रालोसपा मुखिया उपेंद्र कुशवाहा की जीत निश्चित लग रही थी।क्योंकि यह सीट कुशवाहा जाति के साथ-साथ NDA का भी मजबूत गढ़ है।NDA के टिकट पर 2009 और 2019 में महाबली सांसद रहे तो 2014 में उपेंद्र
कुशवाहा ने इस सीट से जीत दर्ज की थी।पर काराकाट लोकसभा सीट पर इस बार उपेंद्र कुशवाहा के लिए राह भोजपुरी स्टार पवन सिंह ने राह कठिन कर दी है।उपेंद्र कुशवाहा का मुकाबला भाकपा माले के राजा राम से है।राजा राम भी कुशवाहा जाति से आते हैं।
पवन सिंह के स्टारडम के चलते सभी जातियों के लोग उनके दिवाने हैं।काराकाट में 50 हजार के करीब भूमिहार वोट हैं। हर्षराज हत्याकांड के बाद उम्मीद की जानी चाहिए कि भूमिहारों की वोट सीपीआईएमएल के प्रत्याशी को हराने के लिए एनडीए कैंडिडेट को ही जाए।
जहानाबाद
जहानाबाद वह सीट है जहां हर्षराज हत्याकांड का सबसे अधिक प्रभाव पड़ने की उम्मीद की जा रही है। दरअसल जहानाबाद से एनडीए की ओर जेडीयू चुनाव लड़ रही है। जहानाबाद में करीब 17 परसेंट भूमिहार वोटर्स हैं। इसके बावजूद नीतीश कुमार ने यहां से 2019 में ही जदयू ने अपनी सीटिंग सांसद चंदेश्वर प्रसाद को उतारा, जो चंद्रवंशी समाज से आते हैं। वहीं राजद ने भी कोई फेर बदल नहीं
करते हुए पूर्व सांसद सुरेंद्र यादव को ही चुनाव में उतारा,पर भूमिहारों की संख्या अधिक होने के चलते यहां भूमिहार एकता को ले कर वर्षो से अलख जगाने वाले आशुतोष यहां से निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं. लोजपा से टिकट की उम्मीद में बैठे पूर्व सांसद अरुण कुमार को तब झटका लगा जब सीट शेयरिंग में जहानाबाद जदयू के हिस्से में चली गई।नतीजा ये हुआ कि चुनाव लड़ने का मन बना चुके अरुण कुमार
ने बसपा से ताल ठोक दी।इस तरह 2-2 भूमिहार प्रत्याशी यहां से हो गए हैं।जाहिर है कि इसका सबसे बड़ा नुकसान जेडीयू को ही होने वाला है। यहां बहुत से भूमिहार आरजेडी को भी वोट देने वाले थे पर हर्षराज हत्याकांड के बाद उम्मीद की जा रही है कि भूमिहार वोटों का ध्रुवीकरण जेडीयू के लिए होगा।
पाटलिपुत्र
पाटलिपुत्र सीट से मौजूदा बीजेपी सांसद रामकृपाल यादव की सीट इस बार खतरे में नजर आ रही थी। हर्षराज हत्याकांड का प्रभाव उनके लिए दोहरा होने वाला है। क्योंकि रामकृपाल यादव को एक तरफ करीब डेढ़ लाख भूमिहार वोटर्स का एकमुश्त वोट मिल सकता है तो दूसरी तरफ उन्हें जो यादव वोट मिलने वाले थे उनमें सेंध लग
सकता है। दरअसल उनका मुकाबला राजद की मीसा भारती से है जो लालू प्रसाद यादव की बड़ी बेटी हैं।भारती,जो 2014 और 2019 में श्री यादव से सीट हार गईं। इसलिए ऐसी उम्मीद की जा रही थी लगातार चुनाव लड़ने के चलते उनको इस बार जनता आजमा सकती है।