अधिक कमीशन खोरी के चलते पुलिया हो जाती है भ्रष्टाचार का शिकार और नहीं सहन कर पाती भार 

2 Min Read
- विज्ञापन-

राजेश मिश्रा 

- Advertisement -
Ad image

बिहार में इन दिनों कई जिलों से पुलिया के धराशाई होने की खबर निकलकर है,इस पर खूब राजनीतिक भी हो रही है।फिर भी कोई समाधान होता नहीं दिख पा रहा है।ध्यान देने वाली बात यह है कि नदियों पर बनाए गए पुलिया में आम जनता की भी अहम भागीदारी होती है।

जो कि किसी ने किसी रूप में जनता भी टैक्स का भुगतान कर अपनी जिम्मेवारी निभाती है।लेकिन अधिक कमीशन खोरी के चलते ठेकेदार के द्वारा घटिया मटेरियल का प्रयोग कर इसे कमजोर बनाया जाता है,और आज नतीजा सब के सामने है।राजनीतिक भी खूब हो रही है।

- Advertisement -
KhabriChacha.in

इस मुद्दे पर पक्ष व विपक्ष आमने-सामने हैं किसी के द्वारा कहा जा रहा है कि जिम्मेवारी तेजस्वी यादव की है,तो कोई बीजेपी को दोषी ठहरा रहा है। तो क्या इसी तरह से सुधर जाएंगे हालात,सवाल कड़वे जरूर लेकिन इसे स्वीकारना ही होगा बिना कमीशन के किसी भी टेबल के आगे फाइल नहीं बढ़ती जबकि दूसरी महत्वपूर्ण बात ठेकेदार द्वारा आवश्यकता से अधिक काम ले लिए जाते और फिर उनके द्वारा पेटी पर कांटेक्ट दूसरे ठेकेदार को दे दिए जाते हैं।

अब आप खुद समझ सकते हैं कि कितनी पारदर्शिता के साथ काम होता है। इन्हें किसी भी प्रकार की सैलरी नहीं मिलती हां काम कराने के बदले में 5% कमीशन जरूर दी जाती है। मुद्दा सिर्फ पुलिया निर्माण में भ्रष्टाचार का नहीं है कई ऊंची ऊंची सरकारी इमारतें बनाई जाती है। जरा सोचिए अगर इसका हश्र भी पुलिया की तरह होगा तो क्या होगा। सीधी तौर पर कहे तो जब तक पूर्ण रूप से कमीशन खोरी पर नहीं लगेगी लगाम तो लगातार इस प्रकार की खबरें निकालकर आती रहेगी।और राजनीतिक होती रहेगी

Share this Article

You cannot copy content of this page