बेगूसराय में राज्यसभा सांसद राकेश सिन्हा ने ममता बनर्जी के द्वारा बंगाल में एनआरसी लागू नहीं करने के बयान पर कहा कि ममता बनर्जी तुष्टिकरण की राजनीति कर रही है और संवैधानिक और सांसद को चुनौती देने का काम कर रही है ।
राहुल गांधी के द्वारा संविधान को खत्म करने पर भी हमला बोलते हुए कहा कि उनकी दादी ने संविधान को खत्म करने का काम किया था वह खुद कैबिनेट में पास कॉफी को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर फाड़ दिया था तो उनके मुंह से यह शोभा नहीं देता है।
टीएमसी द्वारा बंगाल में उम्मीदवार घोषित करने पर कहा कि यह घमंडिया गठबंधन है जो आपस में एक दूसरे के खिलाफ लड़ रही है। इसके साथ ही तेजस्वी यादव के भाजपा को छल कपट बताने पर भी जोरदार हमला बोला है।
राकेश सिन्हा ने कहा कि देखिए ममता बनर्जी भारत की संप्रभुता को और संसद की सर्वोच्चता को चुनौती दे रही है। संसदीय जनतंत्र में यह संभव नहीं है , भारत एक राष्ट्र है और यहां के लोग एक लोग है एक राष्ट्र एक लोग जन की धरना से चलते हैं। संसद के बने हुए कानून को चुनौती देने का अधिकार और नैतिक हक उन्हें नहीं है वे जिस भाषा का उपयोग कर रही है वह भाषा एक विभाजनकारी भाषा है और वह भाषा तुष्टिकरण की भाषा है।
एनआरसी का संबंध उन लोगों से है जो भारत के मुसलमान या भारत के किसी अल्पसंख्यक को एनआरसी किसी भी रूप में डिस्टर्ब नहीं करता है तो ममता बनर्जी ऐसा क्यों कह रही है किसको खुश करने के लिए कह रही है यह स्वयं बताएंगे। राकेश सिन्हा ने राहुल गांधी के भाजपा पर संविधान खत्म करने के बयान पर हमला बोलते हुए कहा कि राहुल गांधी का इतिहास खुद बहुत कमजोर है थोड़े भी इतिहास बैध होती है तो शायद ऐसी भाषा का उपयोग नहीं करते।
1975 में इंदिरा गांधी ने जो उनकी दादी है इस देश के संविधान को निरस्त किया था, जिस संविधान को हम भारत के लोग के नाम पर स्वीकार किया था अंगीकार किया था इस संविधान को ध्वस्त करने का काम उनके परिवार ने किया है। जब-जब राहुल गांधी या उनकी पार्टी सत्ता में आई है उन्होंने इन संविधानिक संस्थाओं का संविधान का संवैधानिक मर्यादाओं का उल्लंघन किया है, स्वयं राहुल गांधी ने कैबिनेट के प्रस्ताव को प्रेस कॉन्फ्रेंस में जिस तरह से फार दिया था यह दिखाता है कि संवैधानिक संस्थाओं के प्रति संविधान के प्रति इस परिवार का कोई सम्मान भाव नहीं है।
देखिए यदि राहुल गांधी का समर्थन घट रहा है और राहुल गांधी को लोग नापसंद कर रहे हैं तो यह लोकतंत्र को ना पसंद करना नहीं है। राहुल गांधी लोकतंत्र नहीं है। आज यदि नरेंद्र मोदी जी की लोकप्रियता देश के बाहर बढ रही है उनकी कृतित्व व और व्यक्तित्व को देश की जनता स्वीकार कर रही है उनके पीछे चलने के लिए तैयार है। इसमें राहुल गांधी को स्वयं आत्मलोचन करने की जरूरत है उनकी पार्टी उनकी दृष्टि में क्या-क्या कमी है जिनको भारतीय जनता को खारिज कर रही है।
राकेश सिन्हा ने बंगाल में टीएमसी द्वारा उम्मीदवार घोषित करने पर कहा कि देखिए इंडिया गठबंधन है ही नहीं जो नाम दिया है या घमंडियां गठबंधन है इसमें जो लोग हैं अपने-अपने घमंड में राजनीति कर रहे हैं । ना इन का विचार मिलता है ना इनकी दृष्टि मिलती है, नेतृत्व की लड़ाई चल रही है इसमें सुशासन और स्थिरता की कामना भी नहीं की जा सकती है।
जिस तरह से टीएमसी ने अपने उम्मीदवार घोषित किया हुआ साफ दिखता है जो बच्ची खुशी इंडिया गठबंधन साख थी वह समाप्त हो गई है एक दूसरे से केरल में लड़ रहे हैं बंगाल में लड़ रहे हैं और फिर गठबंधन किस बात का है या राहुल गांधी और ममता बनर्जी बताएं । राकेश सिन्हा ने तेजस्वी के बयान पर हमला बोलते हुए कहा कि देखिए यदि बिहार को नंबर वन बनाने का उनका संकल्प होता या नियत होता तो उनके पिताजी चारा घोटाला नहीं करते और रोजगार के बदले घोटाला नहीं करते घोटाले पर बैठी उनकी प्रगति का उपदेश दे रही है शोभा नहीं देता है।
वास्तव में राजद ही राजनीतिक आर्थिक रूप से डूबने का जिम्मेदार है राजनीति में जो लोग हैं उसमें लाइसेंस प्राप्त नहीं है कि कोई कमीशन खाए कोई भ्रष्टाचार करें ,किसी भी सांसद को विधायक को मंत्री को किसी पद पर बैठे लोगों को यह लाइसेंस प्राप्त नहीं होता है कि भ्रष्टाचार करें और जांच एजेंसी उन्हें छोड़ दें। राजनीति में रहने का कोई विशेष अधिकार नहीं है जैसे किसी अन्य जगहों पर रहने पर जांच एजेंसी जाती है जो राजनीति में है उनके पीछे भी जाते हैं जो भ्रष्ट होगी उनके पीछे ही एजेंसी जाती है।
राजद बताएं कि जिन बातों को लेकर एजेंसी उनके पास जा रही है तो उनका क्या कहना है जमीन के बदले रोजगार का घोटाला किया चारा घोटाला हुआ कि नहीं अन्य घोटालों में शामिल लोग बार-बार यह कह कर जनता को बड़गड़ाने का काम करते हैं जनता सब समझ रही है।