भूख और प्यास इन्हें भी लगती है ना रहने का ठिकाना न खाने को चारा जिम्मेदार कौन

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राजेश मिश्रा

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औरंगाबाद।सड़कों पर घूम रहे बेजुबान जानवरों का मुद्दा अब बहुत बड़ी विकराल समस्या बन चुकी हैं।लेकिन इसके निवारण के लिए आज तक किसी संगठन एवं सरकार के द्वारा अभी तक प्रभावशाली कदम नही उठाए गए हैं। सड़को पर घूम रहे बेजुबान जानवर अक्सर यातायात प्रभावित करते हैं।

जिसके परिणाम स्वरूप जाम की समस्या अक्सर उत्पन्न हो जाती है।स्थिति और भी खराब तब हो जाती है जब ये दिन में स्वतंत्र रूप से सड़कों पर घूमते है या बैठ जाते है, जिससे वाहन चालकों का बैलेंस बिगड़ने एवं हर समय दुर्घटना घटने का खतरा बना रहता है। एवं अक्सर कई बार देखा गया है कि वाहन की चपेट में आकर जानवर जख्मी भी हो जाते हैं। जिससे उनकी मौत तक हो जाती है।

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हालांकि कई बार जिले के सामाजिक संगठनों के द्वारा उनका इलाज करते भी देखा गया है।सबसे विकट समस्या जिले के सब्जी मंडी से लेकर रमेश चौक तक है। क्योंकि अनगिनत रूप से बेजुबान जानवर गाय, बछड़े एवं कुत्ते देखने को जरूर मिल जाते हैं।

इस मुद्दे पर कई लोगों से मैंने बात क़ी तमाम तरह के विश्लेषण करने पर पाया कि अधिकतर लोग गाय से जन्मे बछड़े को तब तक ही रख रहे हैं जब तक गाय के द्वारा अमृत धाराओं से उन्हें तृप्ति मिलती है।और जैसे ही गाय दूध देना बंद कर दे रही है तो उनके द्वारा बछड़े को अन्यत्र जगह पर छोड़ दिया जा रहा है।

सीधी तौर पर अगर कहे तो गाय को बछड़े जन्म देना अब अभिशाप बन चुका है। क्योंकि जिले में सड़कों पर भूख प्यास से पीड़ित घूमते बेजुबान जानवर को देख ऐसा ही प्रतीत होता है। यह सबसे बड़ी विकट समस्या है, बिहार सरकार एवं तमाम तरह के समाजसेवी संगठनों को इस मुद्दे पर विचार करनी चाहिए।

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