सुख, शांति, वैभव और उल्लास हरेक इंसान की अभिलाषा होती है। इन्हें पाने के लिए इंसान ताउम्र संघर्ष करता है और अनवरत कार्य के लिए तत्पर रहता है। जीवन जटिलताओं से परिपूर्ण है पर समस्याएँ इतनी विषम भी नहीं कि समाधान संभव न हो।
प्रभु ने अनमोल एवं अलौकिक जीवन दिया है तो जीवन यापन के अनेक सदमार्ग भी प्रशस्त किए है। यह बताना उचित होगा कि मानव जीवन बिरले सौभाग्यशालियों को ही नसीब होता है। ईश्वर सभी इंसानों को बराबर गुण और क्षमताएँ प्रदत्त कर सांसारिक जीवन में अवतरित करता है। अब यह मानव विशेष पर निर्भर करता है कि वो इन क्षमताओं का दोहन कैसे करता है और अपना जीवन सार्थक कैसे बनाता है। सार्थकता का मतलब सदकर्म कर आनंद और सुकून भरा जीवन बिताना और अपनी आत्मा को प्रभु में विलीन कर देना है।
जीवन में संस्कार और नैतिक मूल्य शाश्वत होते है। इंसान को इन्हें यथाशीघ्र अपनी दिनचर्या में आत्मसात् करना चाहिए ताकि जीवन में कभी पथभ्रष्ट न हो और मानसिक दृढ़ता और सुगमता के साथ जीवन की सारी दुश्वारियों का निवारण हो सके। प्रभु प्रदत्त क्षमताओं और गुणों का पूर्ण उपयोग और कुछ अहम मूल्यों के जीवन शैली में सतत प्रयोग से संभव है। इनमें चंद प्रमुख मूल्य अनुशासन, कठिन परिश्रम, धैर्य, आत्मविश्वास , त्याग, समर्पण,निरंतरता, पारदर्शिता और प्रतिबद्धता है।
निरंतर विकास के लिए अनुशासन अनिवार्य है। शारीरिक और मानसिक दोनों स्तरों पर अनुशासन लाज़मी है। बग़ैर अनुशासन के स्वस्थ और स्थिर जीवन की कल्पना बेमानी है।अनुशासन से ही अभिप्रेरणा आती है।
जीवन में कोई भी कार्य आसानी से फलीभूत नहीं होता। इसके लिए सतत कठिन परिश्रम करना पड़ता है। प्रभु प्रदत्त तक़दीर को हक़ीक़त में तब्दील करने के लिए तदवीर ज़रूरी है। सिर्फ़ क़िस्मत अच्छी होना पर्याप्त नहीं है।
जीवन उतर चढ़ाव से भरा है। कभी सुख की छाँव तो कभी दुख की काली छाया। हर क्षण धैर्य की अहमियत है। धीरज मानसिक प्रताड़ना में संबल देता है एवं विषम परिस्थितियों में संघर्ष का साहस। धैर्य के साथ जीने से सभी समस्याओं का निदान संभव है।
आत्मविश्वास का स्तर बनाए रखना सदैव चुनौती पूर्ण रहा है। जीवन भर अपना अस्तित्व बरकरार रखने की जद्दोजेहद बनी रहती है। सतत प्रयास आत्मविश्वास की कुंजी है। आत्मविश्वास की निरंतरता के लिए वर्तमान में जीना अति आवश्यक है।
त्याग और समर्पण जीवन का आधार है। अपनी महत्वाकांक्षा पूर्ण करने के लिए त्याग ज़रूरी है। कुछ त्याग न करने से आपको महत्वाकांक्षा का त्याग करना पद सकता है। कुछ पाने के लिए कुछ खोना पड़ता है और यही यथार्थ है।
लक्ष्य के प्रति समर्पण सफलता की कुंजी है। समर्पण से तात्पर्य है कि आप अपनी पूर्ण क्षमता के साथ प्रयासरत है। संपूर्ण समर्पण के बाद भी अगर सफलता नहीं मिलती तो मन में मलाल नहीं रहता। दिलो दिमाग़ में किंतु परंतु वाले ख़्याल नहीं आते।
निरंतरता जीवन को गतिमान रखती है। जीवन को नीरसता से बचाती है। इंसान उत्साहित रहता है और जीने की लालसा बनी रहती है। प्रत्येक दिन नई चुनौतियों के लिए उत्साहित करता है।
पारदर्शिता इंसान को सुधार के अवसर् प्रदान करती है। इससे जीवन में आत्मविश्लेषण का मार्ग प्रशस्त होता है। दोष को गुण में बदलने का मौक़ा मिलता है। इंसान में अहम की भावना को अंकुश लगाने का यह अचूक उपाय है।
प्रतिबद्धता जीवन में लगातार प्रयास और अभ्यास को सुनिश्चित करती है। यह सर्वविदित है कि करत करत अभ्यास से जड़मती होत सुजान। प्रतिबद्धता इंसान को साधारण से अद्वितीय बना देती है।