जनता के भलाई के नाम पर खुद खाते हैं मलाई
पत्रकार राजेश मिश्रा की कलम से
भारत देश की विडंबना रही है कि आजादी के कुछ वर्षों बाद राज्यों में तेजी से क्षेत्रीय पार्टियों ने अपना प्रभाव दिखाना शुरू किया और उनके द्वारा अपने क्षेत्र में बताया गया कि आप सभी लोग क्षेत्रीय पार्टियों का सहयोग करें इससे ज्यादा राज्य का विकास होगा इस तरह व्यापक रूप से प्रचार किए गए की लोग क्षेत्रीय दलों के झांसे में आसानी से आते चले गए और यहीं से क्षेत्रीय राजनीतिक दलों नें तेजी से अपने-अपने क्षेत्र में प्रभाव दिखाना शुरू कर दिए।
जबकि इन क्षेत्रीय राजनीतिक दलों के द्वारा अपने राज्यों के लिए तो कम लेकिन परिवारवाद,वंशवाद पर हीं विशेष ध्यान दिया गया। नियमों के ताख पर रखकर बे हिसाब संपत्ति इन दलों के द्वारा बनाया गया ताजा मामला झारखंड राज्य से निकाल कर आई जब भ्रष्टाचार के आरोप में हेमंत सोरेन को गिरफ्तार कर लिया गया यह सोचने की बात है कि सबसे बड़े पद पर रहकर अगर कोई भ्रष्टाचार करता हो तो उस राज्य के विकास किस हसीए पर खड़ा होगा आप सबों से छुपी नहीं है।
जिसमें आम जनता भी कम जिम्मेदार नहीं है।क्योंकि चुनाव के समय क्षेत्रीय दलों के द्वारा अपने क्षेत्रों में पैसा,शराब, मटन की पार्टी दी जाती है। और लोगों के द्वारा अपने बहुमूल्य वोट सही गलत के चुनाव किए बिना ही दे दिए जाते हैं और इन्हीं सबके बदौलत दागदार लोग भी सत्ता पर काबिज हो जाते हैं।
जिसका नुकसान तो राज्य के लोगों को हीं उठना पड़ता है। विकास की गति रुक जाती है और राज्य पिछड़ता चला जाता है यह दुर्भाग्य से काम नहीं है। एक मुख्यमंत्री के गिरफ्तारी से कई प्रकार के सवाल उठना लाजिमी है। हालांकि कुछ लोगों के द्वारा जरूर है बताया जा रहा है की मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी राजनीति से प्रेरित है।
लेकिन यह सच्चाई भी है कि बिना आग लगे धुआ दिखाई नहीं देती। गौरतलब हो कि सिर्फ झारखंड राज्य ही नहीं कई ऐसे राज्य हैं जिन पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे मध्य प्रदेश में व्यापम घोटाला, बिहार में चारा घोटाला,अलकतरा घोटाला, कांग्रेस सरकार में कोयला घोटाला, जबकि आम आदमी पार्टी पर भी आबकारी नीति तैयार करने और उसे लागू करने में अनियमितताओं आरोप लगे हैं।
तो फिर राज्य का भला कैसे होगा। जनता को तो बस सिर्फ मुंगेरीलाल के हसीन सपने ही दिखाए जाएंगे और सफेद पोस बैठे-बैठे मलाई खाएंगे। मेरा लिखने का मकसद किसी भी राजनीतिक दलों को ठेस पहुंचाने का नहीं है।आधुनिक परिपेक्ष में जो लगातार खबरें निकाल कर आ रही है उसे पर विचार व्यक्त किए गए हैं।