खेत में लगी धान की फसले सूखते देख किसानों के माथे पर उठ रही है चिंता की लकीरें
पत्रकार राजेश मिश्रा की कलम से
औरंगाबाद। इन दिनों लगता है इंद्रदेव काफी नाराज दिख रहे हैं। भरपूर मात्रा में वर्षा का ना होना किसानों के माथे पर अब चिंता की लकिरे उठने लगी है। कई जगहों पर तो धान की लगी फसले को मोटर पंप सेट के माध्यम से पटवन जरूर की जा रही है। लेकिन यह पर्याप्त नहीं है। जब तक भरपूर मात्रा में वर्षा नहीं हुई तो किसने की परेशानी और बढ़ेगी।
क्योंकि बहुत से ऐसे किसान हैं जो की बैंकों से केसीसी ऋण लेकर खेती करते हैं। और ध्यान देने वाली बात है कि अगर फसले ही नहीं होंगी तो किसान क्या करेंगे। राज्य सरकार को किसानों के बारे में जरूर सोचनी चाहिए। क्योंकि जब धरती के अन्नदाता ही होंगे परेशान तो कहां से आएंगे खाद्यान्न स्पष्ट रूप से कहा जाए तो प्राकृतिक छेड़छाड़ का नतीजा ही है कि भरपूर मात्रा में वर्षा का ना होना है।
फिर भी मन में कई सुलगते सवाल। नियमों के ताख पर रखकर प्राकृतिक से छेड़छाड़ की गई पेड़ों की अंधा धुंध कटाई की गई। नदियों से तय मनको से अत्यधिक बालू का उठाव किया गया। यानी सीधी तौर पर स्पष्ट रूप से कहां जाए तो। लगातार 5 वर्षों से जिस प्रकार से मौसम चक्र बन रहे हैं। यह भविष्य के लिए अच्छे संकेत नहीं है।
अब वह समय आ गया है। जिस पर व्यापक रूप से मंथन करने की जरूरत है। क़ी इस प्रकार के मौसम चक्र क्यों बन रहे हैं। हालांकि राज्य सरकार के द्वारा बड़ी संख्या में पौधे तो जरूर लगाई जाती है। लेकिन वह भी सिर्फ अख़बारों के हैडलाइन के लिए क्योंकि पौधे लगाने के बाद इन्हें कोई देखने तक नहीं जाता और देखरेख के अभाव में कुछ दिनों के बाद ही दम तोड़ देते हैं।यह एक बहुत ही गंभीर चिंतन का विषय है।
समाज हित में विनम्र अपील अगर आपके क्षेत्र में वृक्ष लगाए गए हैं और उनकी देखभाल अगर कोई नहीं कर रहा है तो इसकी शिकायत जरूर उच्च अधिकारियों से करें क्योंकि इन पौधों को देखभाल करने के लिए हर क्षेत्र में किसी न किसी को जिम्मेदारी दी जाती है।
बिना जन जागरूकता के अब इसके बिना जीवन संभव नहीं लग रहा है। और अधिकारियों से भी विनम्र निवेदन अगर लगाए गए पौधे के बारे में अगर किसी भी प्रकार की कोई शिकायत मिले तो जरूर कठोर से कठोर कार्रवाई करें यह मुद्दा मानव रक्षा से जुड़ी हुई है।