औरंगाबाद, 23 मार्च: प्रत्येक वर्ष 24 मार्च विश्व यक्ष्मा दिवस के रूप में मनाया जाता है. टीबी संक्रमण के प्रति जागरूकता लाने तथा टीबी उन्मूलन की दिशा में स्वास्थ्य विभाग द्वारा विभिन्न अभियान का संचालन किया जा रहा है।
मानव इतिहास में अन्य संक्रामक रोगों- हैजा, चेचक, प्लेग इन्फ्लुएंजा, मलेरिया, एड्स आदि की तुलना में टीबी से मरने वालों की संख्या सबसे अधिक है। टीबी एक संक्रामक बीमारी है, जो मायकोबैक्टीरियम ट्यूबरकुलोसिस नामक जीवाणु से होती है। टीबी के लक्षणों में लंबे समय तक खांसी रहना शामिल है. लंबे समय तक खांसी रहने पर बलगम की जांच करवाना जरूरी है.
जिला संचारी रोग पदाधिकारी डॉ रवि रंजन ने बताया कि जिला में टीबी रोगियों को चिन्हित करने का काम लगातार जारी है. सभी सरकारी स्वास्थ्य संस्थानों के तहत आने वाले क्षेत्रों में टीबी रोगियों को चिन्हित करने के लिए जांच अभियान चलाया जाता है. टीबी रोगियों को चिन्हित करने के बाद तुरंत इलाज प्रारंभ किया जाता है।
निक्षय पोषण योजना का भी लाभ मिल रहा है. बताया कि टीबी संक्रमण की जांच के लिए सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों पर सुविधा है। लक्षण दिखने पर जांच जरूरी है. टीबी रोगी छह माह तक नियमित दवा सेवन से पूरी तरह ठीक हो जाते हैं।
जिला यक्ष्मा विभाग के आंकड़े के अनुसार वर्ष 2023 में 14 हजार 893 लोगों की जांच की गयी. इनमें एक हजार 228 मरीजों के बलगम जांच से उनमें टीबी संक्रमण की पुष्टि की गयी. बीते वर्ष में दो हजार 211 मरीजों का टीबी ट्रीटमेंट प्रारंभ किया गया. औरंगाबाद सदर अस्पताल में 166 टीबी मरीज चिन्हित किये गये. जबकि मदनपुर में 183, देव में 64, रफीगंज में 242, हसपुरा में 74, गोह में 59, नबीनगर में 78, कुटुंबा में 79, ओबरा में 86, दाउदनगर में 146 और बारूण में 51 टीबी के संक्रमित मरीज चिन्हित किये गये।
क्या है विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट
विश्व स्वास्थ्य संगठन के ग्लोबल ट्यूबरक्लोसिस रिपोर्ट 2023 के अनुसार भारत में वर्ष 2022 में 28.2 लाख टीबी रोगी (199 प्रति लाख) आबादी पर टीबी के रोगी होने का अनुमान है. जो दुनिया के सभी मामलों का 27 % है तथा इसी रिपोर्ट के अनुसार लगभग 3.42 लाख लोगों की मृत्यु (23.76/ लाख आबादी) भी अनुमानित है