नये संसद भवन का विरोध करने वाले ललन सिंह लोकसभा से इस्तीफा दें

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राष्ट्रपति से उद्घाटन कराने संबंधी याचिका सुप्रीम में खारिज होने के बाद भी क्या विपक्ष की जिद जायज? 

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सुशील मोदी ने बहिष्कार करने वालों से पूछे सात सवाल 

 

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पटना। पूर्व उपमुख्यमंत्री एवं राज्यसभा सदस्य सुशील कुमार मोदी ने कहा कि नये संसद भवन का उद्घाटन राष्ट्रपति से कराने का निर्देश चाहने वालों की याचिका जब सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दी, तब भी क्या विपक्ष अपनी जिद पर अड़ा रहेगा?

 

उन्होंने कहा कि विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र में लगातार दूसरी बार निर्वाचित प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथों नये संसद भवन के उद्घाटन का अनर्गल विरोध करने वाले नीतीश कुमार और ललन सिंह बतायें कि उन्हें ब्रिटिश दासता का प्रतीक पुराना ल्युटियन संसद भवन ही क्यों पसंद है?

 

श्री मोदी ने कहा कि यदि हिम्मत है तो उद्घाटन समारोह के बहिष्कार का निर्णय करने वाले जदयू सहित सभी 19 दलों के सांसद इस्तीफा दें। ललन सिंह कब इस्तीफा दे रहे हैं?

 

श्री मोदी ने बहिष्कार करने वालों से किया सवाल

 

1. नीतीश कुमार ने नये विधानमंडल भवन का उद्घाटन राज्यपाल से क्यों नहीं कराया?

 

2. जब सोनिया गांधी ने छत्तीसगढ़ और मणिपुर विधान सभा के भवनों का उद्घाटन किया, तब राज्यपालों की उपेक्षा क्यों की गई?

 

3. कांग्रेसशासित आधा दर्जन राज्यों में सरकारी भवनों के शिलान्यास/ उद्घाटन में राज्यपाल बुलाये तक नहीं जाते, क्यों?

 

4. कांग्रेस ने 1975 में संसद की एनेक्सी का उद्घाटन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी से क्यों कराया था?

 

5. 1987 में संसद के पुस्तकालय का उद्घाटन प्रधानमंत्री राजीव गांधी से क्यों कराया गया?

 

6. जब तक कांग्रेस और उसके समर्थन से बनी सरकारें केंद्र में रहीं, तब कभी राष्ट्रपति से उद्घाटन कराने का विचार क्यों नहीं आया?

 

श्री मोदी मे कहा कि प्रधानमंत्री मोदी से ईर्ष्या रखने वाले विपक्षी दल पहले नये संसद भवन (सेंट्रल विस्टा) के शिलान्यास और फिर उसमें स्थापित अशोक स्तम्भ के शेरों की आकृति के बहाने अपनी हताशा जाहिर कर चुके हैं। अब उन्हें चोल वंश के राजदंड सेंगोल में नंदी की आकृति पर भी आपत्ति हो रही है।

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