किसान आंदोलन के नाम पर हिंसा कहां तक जायज विचार करने की है जरूरत 

2 Min Read
- विज्ञापन-

             पत्रकार राजेश मिश्रा की कलम से

- Advertisement -
Ad image

एमएसपी पर कानूनी गारंटी की मांग को लेकर किसान एक बार फिर दिल्ली एवं हरियाणा के सड़कों पर उतर चुके हैं हालांकि किसानों के द्वारा किए जा रहे इस आंदोलन को लेकर कई तरह के सवाल उठाए जा रहे हैं।क्या आंदोलन के नाम पर हिंसा जायज है।

आखिर यह कौन लोग हैं जो प्रदर्शन की आड़ में हिंसा कर रहें हैं।आंदोलन तो देश में अन्ना हजारे ने भी किया था जो कि 12 दिन तक चले आमरण अनशन के दौरान सूचना का अधिकार आंदोलन को देशव्यापी समर्थन मिला।

- Advertisement -
KhabriChacha.in

उस दौर में उन्हें पूरे भारतवर्ष से समर्थन मिला था उस समय तो कोई नुकसान नहीं हुई थी और ना कहीं हिंसा हुई थी यह आंदोलन बिल्कुल शांतिपूर्ण तरीके से की गई थी। लेकिन वर्तमान में किसानों के द्वारा इस प्रकार के आंदोलन से प्रतीत हो रहा है कि कहीं यह किसानो की आड़ में यह आंदोलन राजनीति से प्रेरित तो नहीं है।

सवाल तो उठेंगे ही इतने भारी संख्या में किसानों को पहुंचना इनके द्वारा आवा गमन के रास्ते को अवरुद्ध करना प्रदर्शन के नाम पर पुलिस कर्मियों पर हमला करना जो देश हित के लिए अच्छे नहीं है सरकार को इस तरह के व्यक्तियों को चिन्हित सख्त कानूनी कार्रवाई करनी चाहिए आखिर यह कौन लोग हैं।

इतनी भारी संख्या में पहुंचने वाले लोगों के रहने खाने के लिए किए गए व्यवस्था की फंडिंग कहां से हो रही है इस आंदोलन के सूत्रधार कौन है।

अगर सचमुच में अन्नदाता प्रदर्शन कर रहे हैं तो इनकी मांगे पर सरकार को विचार करनी चाहिए और अगर किसानों का भेष में उपद्रवी है तो सख्त कार्रवाई करनी चाहिए क्योंकि इस तरह के प्रदर्शन से स्थानीय लोगों को भी भारी नुकसान उठाना पड़ता है। परीक्षाएं प्रभावित होती है। ट्रैफिक व्यवस्था पूर्ण रूप से बाधित हो जाती है।और भी कई तरह के परेशानियां लोगों को उत्पन्न हो रही है।

Share this Article

You cannot copy content of this page