नाटक मरणोपरांत से अंत हुआ विश्वोत्सव 2024 नाट्य महोत्सव 

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प्रेम का सफर विवाह तक सीमित नहीं है,मरणोपरांत

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पटना विश्वोत्सव का दूसरा दिन था। पहले दिन के उत्साह को देखते हुए आज कला प्रेमियों की तादाद दोगुनी थी । कार्यक्रम के दूसरे दिन भी दर्शक अधिक उक्सुकता के साथ आये। नुक्कड़ पे हो रहे जनवादी गीतों में दर्शकों ने खूब सहभागिता दिखाई।

कार्यक्रम के पहले सत्र में नाट्य दल आशा रिपेरटरी के द्वारा नुक्कड़ नाटक “भोलाराम का जीव” का मंचन हुआ, जिसके लेखक व्यंग रचनाकार हरिशंकर परसाई हैं एवं निर्देशक मोहम्मद जहांगीर हैं। यह नाटक सरकारी व्यवस्था पर गहरी चोट करता है।

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इस नुक्कड़ नाटक में यही दिखाया गया है कि कैसे एक आम आदमी अपने अधिकारों के लिए उन सारे सरकारी तंत्रों से लड़ते-लड़ते अंत में उसी व्यवस्था के नीचे दबकर मर जाता है । नाटक की शुरुआत चित्रगुप्त के फाइल में एक जीव यानी मनुष्य की आत्मा के मिसिंग (गायब) होने से शुरू होता है जिसका नाम भोलाराम है।

भोलाराम 5 साल से पृथ्वी लोक पर पेंशन के लिए अनशन पर बैठा रहता है, अनशन पर बैठे बैठे ही उसकी मृत्यु हो जाती है, यमराज अपने यमदूत को आत्मा लाने के लिए पृथ्वी लोक पर भेजते हैं तब पता चलता है कि भोलाराम की आत्मा पेंशन के फाइलों में अटक गयी है और उसका वही मन लग गया है।

ये नुक्कड़ नाटक वर्तमान सामाजिक परिदृश्य का सटीक चित्रण है।नाटक में काम करने वाले कलाकार मोo इमरान, अमन आर्य, प्रिंस प्रणब, तन्नू सिंह, राखी कुमारी आकाश केसरी, विक्की ओबेरॉय, विक्की ज्वेल, गोविंदा कुमार, अमर कुमार, सोनू कुमार, विश्वजीत कुमार, हिमांशु कुमार, दिव्यांशु भारद्वाज, विकास कुमार ने दर्शकों की खूब तालियां बटोरी।

कार्यक्रम के दूसरे सत्र में नाट्य दल विश्वा, पटना के द्वारा सुरेंद्र वर्मा लिखित नाटक “मरणोपरांत” का मंचन हुआ।

जिसके निर्देशक राजेश नाथ राम हैं | मरणोपरांत नाटक एक आत्मिक और मानसिक संघर्ष की गहरी दुनिया में जाती है । यह कहानी एक पति और उसकी पत्नी के प्रेमी के मानसिक संघर्ष पर आधारित है, जब उसकी पत्नी की मौत एक दुर्घटना से हो जाता है। यह नाटक प्रेम, विश्वास, और आत्मविश्वास के संघर्ष को दर्शाती है, जिसमें पति का दर्द और उसके पत्नी के प्रेमी का आत्म-संघर्ष जीवंत हो जाता है।

मरणोपरांत एक मानसिक व्यक्तिगत यात्रा का परिप्रेक्ष्य प्रस्तुत करता है, जो हमें आपसी संबंधों और आत्म-समझौते के महत्वपूर्ण पहलुओं को समझने के लिए इच्छुक करता है। यह नाटक भावनाओं का संघर्ष और मानसिक उबाल का अद्वितीय और गहरा दृश्य है, जो वास्तविकता के साथ झूमता है।

रंगोली पांडे,संजीव कुमार,आदिल रशीद अभिनय किया।प्रकाश परिकल्पना,रौशन कुमार, पार्श्व ध्वनि संयोजन : राहुल कुमार,रूप सज्जा : तनु हाशमी एवं सुश्री विश्वास,वस्त्र विन्यास: दीपक कुमार एवं अभिषेक मेहता,पूर्वाभ्यास प्रभारी : शशांक शेखर एवं संजीव कुमार,प्रस्तुति संयोजक : रजनीश कुमार ,मंच निर्माण : सुनील जी,सहयोग : पंकज एवं मनीष,प्रस्तुति : विश्वा, पटना,लेखक : सुरेंद्र वर्मा,मंच परिकल्पना एवं चित्रकरण : हरिशंकर रवि,निर्देशक: राजेश राजा हैं।

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