शिक्षा मंत्री के वेतन को लेकर क्यों हुई राजनीति गर्म,क्या है हकीकत जानें इस खबर में

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औरंगाबाद। बिहार के शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर सिंह द्वारा शहर के राम लखन सिंह यादव कॉलेज से बिना उपस्थिति बनाए पिछले 15 वर्षों से वेतन प्राप्त करने का मामला बिहार की सियासत को गर्म कर रखा है। इधर इस मामले को देखते हुए भाजपा को भी बैठे-बिठाए राजनीति करने का मुद्दा मिल गया है। जिसको लेकर जमकर आरोप प्रत्यारोप लगाए जा रहे हैं। आरोप में यह बात उछाली जा रही है कि पिछले 15 वर्षों से शिक्षा मंत्री श्री सिंह यादव कॉलेज से बिना उपस्थिति बनाए कैसे वेतन प्राप्त कर रहे हैं।

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सूबे के राजनीतिक हलकों में चल रही बयानबाजियों के इतर कॉलेज के प्राचार्य डॉ विजय रजक ने गुरुवार को बयान देकर गर्म हुई राजनीति के तवे को ठंढा कर दिया है और वही शिक्षा मंत्री ने भी अपने बयान से राजनीतिज्ञों के साथ साथ उन मीडिया हाउस को भी कठघड़े में खड़ा कर दिया है जो बिना जाने समझे उनकी खबरों को गलत तरीके से प्रसारित कर रहे हैं।

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कॉलेज के प्राचार्य श्री रजक ने यह स्पष्ट कर दिया है कि शिक्षा मंत्री कॉलेज से कैसे वेतन प्राप्त कर रहे हैं। प्राचार्य ने बताया कि बिहार यूनिवर्सिटी एक्ट 1976 की धारा 68 में यह प्रावधान है कि कोई भी निर्वाचित प्रतिनिधि अपने निर्वाचन के बाद विधानसभा में ऑप्शन देकर अपने कार्य के दो जगहों में किसी एक जगह से अपना वेतन प्राप्त कर सकता है और उसी प्रावधान के तहत विश्वविद्यालय भी शिक्षा मंत्री के वेतन का भुगतान करती आ रही है। प्राचार्य ने बताया कि शिक्षा मंत्री ने भी उसी प्रावधान के तहत विधानसभा में अपने वेतन प्राप्त करने का ऑप्शन दे रखा है।अब वे जब जनप्रतिनिधि हो चुके हैं तो यहां महाविद्यालय कैसे आ सकते हैं।

 

महाविद्यालय के पूर्व प्रभारी प्राचार्य अरुण कुमार सिंह, इतिहास विभाग के सहायक प्राध्यापक विजय शंकर श्रीवास्तव एवं बड़ा बाबू जनार्दन सिंह ने इस बात पर हर्ष जताते हुए कहा कि औरंगाबाद का यादव कॉलेज बिहार को तीन-तीन विधायक देने का काम किया है और यह गर्व की बात है यहां के प्रोफेसर कृष्णनंदन यादव, विनोद यादवेंदु और चंद्रशेखर सिंह तीन तीन विधायक हुए।इनमे से चंद्रशेखर सिंह शिक्षा मंत्री के पद को सुशोभित कर न सिर्फ कॉलेज का बल्कि बिहार का नाम रोशन कर रहे हैं।

 

गौरतलब है कि शिक्षा मंत्री श्री चंद्रशेखर सिंह ने 8 अक्टूबर 1985 को यहां जूलॉजी विभाग में बतौर सहायक अध्यापक के पद पर पदभार ग्रहण किया था और जब तक विधायक नही थे तब तक उन्होंने नियमित रूप से यहां जूलोजी विभाग को संभाला और छात्र छात्राओं को पढ़ाने का काम किया। कक्षा लिया था। लेकिन 15 वर्षों से उन्होंने शिक्षा के साथ साथ राजनीतिक क्षेत्र में दबदबा बनाया और चौथी बार अपने विधानसभा से विधायक के रूप में जीत दर्ज की। विधायक बनने के बाद वे बिहार के लोगों की आवाज को प्रमुखता से उठा रहे हैं।

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