मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का महिलाओं पर दिए गए बयान से लोकतंत्र हुआ शर्मसार

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जिह्वा पर हुआ निशाचर का वास अंधेर नगरी चौपट राजा की कहानी दिलाई याद

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               पत्रकार राजेश मिश्रा की कलम से

जनसंख्या नियंत्रण के ऊपर मुख्यमंत्री के द्वारा सदन में कही गई बातें ऐसी थी जिसने सदन में तो लोगों को असहज कर ही दिया,साथ हीं लोकतंत्र को पूरी तरह से शर्मसार कर दिया। सीधे तौर पर कहे तो जब किसी राज्य के राजा की ही मति भ्रष्ट जाय तो कुछ भी नही किया जा सकता।

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मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा महिलाओं पर दिए गए अमर्यादित बयान से लोकतंत्र शर्मसार हो गया है।मुख्यमंत्री के बयान से महिलाएं काफी आहत है और अपनी प्रतिक्रिया देते हुए मुख्यमंत्री से कई सवाल कर रही हैं।मुख्यमंत्री के उक्त बयानबाजी से उनकी भावनाएं आहत हुई है और सदन में बैठी महिला नेत्रियों की भावनाएं आहत हुई हैं।बचपन में हम सब किताबों में पढ़ते थे।

अंधेर नगरी चौपट राजा लेकिन अब यह लोकतंत्र के मंदिर में दिखनें भी लगा है। जहां का राजा अभद्र बातों को बेलिहाज रखकर सदन की मर्यादा को तार तार कर रहा है। मुख्यमंत्री द्वारा जनसंख्या नियंत्रण को लेकर दिया गया बयान सभ्य समाज में किसी भी दृष्टिकोण से सही नही ठहराया जा सकता है। जिस तरह से महिलाओं पर उनके द्वारा सदन में बयान दिए गए हैं उससे तो यही प्रतीत होता है कि अब मुख्यमंत्री की दिमागी हालत ठीक नहीं।उनके बयान का लाइव कवरेज पूरे देश ने देखा।

ऐसा लग रहा था कि उनके जिह्वा पर निशाचर का वास हो चुका है। उनके द्वारा कहे गए शब्द भी लिखने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहा है। अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर महिलाओं के सम्मान में कई तरह के कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। उन्ही महिलाओं से संदर्भित बयान उनकी घटिया मानसिकता एवं सोच को दर्शा रही है। जिस मेनिफेस्टो के साथ राजनीतिक दलों के द्वारा जनता के बहुमूल्य वोट प्राप्त कर सत्ता संभाली जाती है।

उसी प्रकार से कार्य का भी निर्वहन भी नेताओं को करना चाहिए। मुख्यमंत्री द्वारा दिए गए बयान से बिहार की राजनीतिक गलियारों में क्रिया प्रतिक्रिया का भूचाल आना निश्चित है। ऐसे बयानों के संदर्भ में शुरू से ही परंपरा चली आ रही है कि राजनीतिक दलों के द्वारा जब भी अनर्गल बयान दिए जाते हैं या जुबान फिसलती है तो मीडिया के ऊपर ही आरोप लगा दिया जाता है और कहा जाता है कि मीडिया के द्वारा उनके बयानों को तोड़ मरोड़ कर पेश किया गया।

लेकिन हकीकत यह है कि राजनीतिक दलों के नेताओं द्वारा इस तरह के बयान बाजी से सामाजिक ताना-बाना बिगड़ने का खतरा बना रहता है और ऐसा लगातार हो भी रहा है।लोकतंत्र के मंदिर विधानसभा में इस तरह के बयान बाजी समझ से परे क्योंकि उसी विधानसभा सत्र के दौरान कई महिला विधायिका की भी वहां मौजूद होती हैं। फिर भी हैरानी होती है कि सबसे उच्च पद पर बैठे मुख्यमंत्री के द्वारा महिलाओं पर इस तरह के बयान कैसे दिए जा रहे हैं।मुख्यमंत्री के बयान से महिला समाज क्रोध की अग्नि में जल रही है।

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