एसडीपीओ स्वीटी सेहरावत का तबादला राजनीति से प्रेरित तो नहीं, 11 माह पूर्व ही संभाला था कार्य

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बाइक भी पकड़े जाने पर थाने में सफेदपोश की आ जाती है पैरवी, कैसे सुधरेंगे हालात 

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पत्रकार राजेश मिश्रा की कलम से

औरंगाबाद।एसडीपीओ स्वीटी सेहरावत का तबादला इतनी जल्दी होना समझ से परे है। जबकि कुछ माह पूर्व ही उन्होंने पदभार संभाला था। लेकिन पूर्व राज्यपाल,पूर्व सांसद, पूर्व पुलिस कमिश्नर एवं सत्ताधारी कांग्रेस के नेता निखिल कुमार ने कुछ दिन पूर्व ही जिले में बढ़ रहे चोरी की घटनाओं को लेकर उनके आवास पर जाकर मुलाकात की थी और उसके बाद क्या हुआ यह जग जाहिर है।

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सवाल उठना लाजमी है। क्या राज्य सरकार द्वारा इस तरह के कदम उठाने से चोरी की घटनाएं रुक जाएंगी। यह जानने और समझने की जरूरत है कि आईपीएस अधिकारियों का कार्य काफी कठिन और चुनौतियों भरा होता है। उन्हें भी समय मिलना चाहिए तभी वह अपने कार्य में सुधार कर सकेंगे। अगर पुलिस किसी अभियुक्त को पकड़ती है तो संयोगवश या तो वह सफेदपोश का करीबी हो जाता है या फिर किसी रसूखदार का रिश्तेदार।

ऐसे में पुलिस की कार्यशैली प्रभावित होती है और वे दबाव में आ जाते हैं। लेकिन छोटी मोटी चोरियों का उद्भेदन नहीं होना।सवालों के घेरे में आ जाती है। पुलिस अधिकारियों को चाहिए कि वी अपने सूत्र मजबूत करें।क्राइम को कंट्रोल करने में सफल हो और लोगों की समस्याओं का निराकरण करें। क्योंकि वे 24 घंटे सातों दिन तक कार्य करने के लिए हैं। यदि वे अपनी कार्यकुशलता किंधाक जमाने में कामयाब होते है तो निश्चित जानिए ऐसी स्थिति की नौबत ही नही आएंगी।

ऐसे भी अब लोकसभा का चुनाव का समय नजदीक आ रहा है राज्य सरकार के द्वारा भारी संख्या में आईपीएस अधिकारियों का तबादला जरूर देखने को मिल जाएंगे। क्योंकि चुनाव के ठीक पहले कई बार ऐसा देखा गया है। कई बार तो ऐसा देखा गया है कि कुछ महत्वपूर्ण लोगों के मन मुताबिक कार्य नहीं करने पर अधिकारियों से विवाद होती है और फिर कुछ दिन के बाद खबरें निकल कर आ जाती है कि उनका स्थानांतरण हो गया।

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