औरंगाबाद:शहर के प्रतिष्ठित और ऐतिहासिक शिक्षण संस्थान मदरसा इस्लामिया के कैंपस में आज जुमे की नमाज़ के पश्चात दोपहर लगभग 2 बजे वक्फ कमेटी एवं आम नागरिकों के बीच विवाद की स्थिति उत्पन्न हो गई। स्थिति इतनी तनावपूर्ण हो गई कि पुलिस प्रशासन को हस्तक्षेप करना पड़ा।
विवाद का मुख्य कारण मदरसे की वक्फ कमेटी द्वारा संस्थान की सीमाओं को तोड़कर, कैंपस के भीतर 11 दुकानों का अवैध निर्माण करना बताया जा रहा है। स्थानीय नागरिकों का आरोप है कि वक्फ बोर्ड की मिलीभगत से मदरसा परिसर को निजी स्वार्थों की पूर्ति हेतु व्यावसायिक रूप में परिवर्तित किया जा रहा है, जिससे शैक्षणिक गतिविधियों को गंभीर क्षति पहुँचने की आशंका है।
*स्थानीय लोगों ने यह भी बताया कि मदरसे की आवश्यक वित्तीय आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए पहले से ही लगभग 200 दुकानों वाली एक बड़ी मार्केट संस्थान के अंतर्गत संचालित है। इस मार्केट से होने वाली आय का उपयोग मदरसे के बजाय कथित रूप से कमेटी के कुछ भ्रष्ट सदस्यों द्वारा व्यक्तिगत हितों हेतु किया जा रहा है।*
कई वर्षों से नागरिकों में इस विषय को लेकर असंतोष व्याप्त था, और अब जब शैक्षणिक परिसर के भीतर पुनः दुकानों का निर्माण आरंभ हुआ, तो यह असंतोष सार्वजनिक विरोध में बदल गया। दोपहर में बड़ी संख्या में स्थानीय नागरिक निर्माण स्थल पर एकत्रित हुए और निर्माण कार्य को रुकवाया।
इस संबंध में मदरसा इस्लामिया के प्राचार्य जनाब वहाजुद्दीन अख्तर ने भी वक्फ बोर्ड को पत्र लिखकर दुकानों के निर्माण की अनुमति को तत्काल निरस्त करने की मांग की थी। उन्होंने स्पष्ट किया कि वक्फ बोर्ड केवल संरक्षक की भूमिका में है तथा उसे ऐसी ज़मीनों का व्यावसायीकरण करने का अधिकार नहीं है।
हालांकि, वक्फ बोर्ड के वर्तमान चेयरमैन जनाब इरशादुल्लाह पर गंभीर भ्रष्टाचार के आरोप लगते रहे हैं। उन पर आरोप है कि वह वक्फ समितियों को अनियंत्रित स्वायत्तता प्रदान कर निजी हितों को बढ़ावा दे रहे हैं।
औरंगाबाद की आम जनता ने स्पष्ट शब्दों में चेतावनी दी है कि अब वे इस प्रकार की मनमानी को और बर्दाश्त नहीं करेंगे, और यदि आवश्यक हुआ तो चेयरमैन एवं वक्फ कमेटियों के विरुद्ध जनांदोलन भी चलाया जाएगा।