जन सुराज पार्टी के वरिष्ठ नेता रमेश सिंह ने ब्यान जारी कर कहा कि आज के वर्तमान राजनीति में बिहार का विकास थम सा गया है। बिहार में विकास की बातें कर व्यवस्था परिवर्तन की बात जन सुराज पार्टी कर रही है। जन सुराज पार्टी का उद्देश्य बिहार को गरीब और पिछड़े राज्य के श्रेणी से निकाल कर देश के अग्रणी 10 राज्यों में शामिल करना जन सुराज पार्टी की मुख्य विचार धारा है।
सही लोग सही सोच वाले लोगों को जोड़कर बिहार में व्यवस्था परिवर्तन कर बिहार को विकास के पटरी पर लाना जन सुराज पार्टी की परिकल्पना है। बिहार में व्यवस्था परिवर्तन कर विकास सुनिश्चित हो और बिहार के बच्चों का भविष्य बेहतर हो। इस दिशा में जन सुराज पार्टी कार्य कर रही है। बिहार में विकास की गति थम सी गई है। उसे पटरी पर लाना जन सुराज पार्टी की मुख्य विचार धारा है। सही लोग सही सोच के साथ एक सामूहिक प्रयास करेंगे तो बिहार में निश्चित व्यवस्था परिवर्तन होगा। बिहार बदहाली के दौर से गुजर रहा है। उसे खुशहाल बिहार बनाना जन सुराज पार्टी की पहली प्राथमिकता है।
जन सुराज पार्टी बिहार से युवाओं को पलायन रोकने की बात कर रही है। शिक्षा जो बदहाली के दौर से गुजर रहा है। उच्च स्तरीय शिक्षा बहाल करने की बात कर रही है। नेतरहाट जैसी शिक्षा की व्यवस्था प्रत्येक प्रखंड हो उसके लिए प्रत्येक प्रखंड में 5 विद्यालय हो ताकि बच्चों का शिक्षा का स्तर को ऊपर उठाया जा सके। नेतरहाट जैसे विद्यालय से पढ़कर बच्चे ( IAS & IPS ) जैसे परीक्षा पास करते हैं। शिक्षा को सुधारने में जो समय लगे।
5 साल 10 साल जन सुराज पार्टी समय देने को तैयार है। जबतक प्राइवेट स्कूल जैसी व्यवस्था सरकारी स्कूल में बहाल नहीं होती है। तबतक 15 साल के गरीब बच्चों की हमारी सरकार मुफ्त शिक्षा प्रदान करेगी। प्राइवेट स्कूल में पढ़ाई की व्यवस्था करेगी और उसका पूरा खर्च सरकार उठायेगी। बिहार में युवाओं को 10 से 15 हजार का रोजगार व्यवस्था कर युवाओं को बिहार से पलायन रोकने की बात जन सुराज पार्टी कर रही है। अभी वर्तमान में वर्तमान सरकार 60 साल के ऊपर पुरुष & महिला को 400 /- पेंशन दे रही है। इस मंगाई के दौर में उस पैसे से नामक , तेल की व्यवस्था भी नहीं होगी।
उसे बढ़ाकर 2000 /- पेंशन देने की बात जन सुराज पार्टी कर रही है। जो महिला कम पढ़ी लिखी घर में बेरोजगार बैठी है। सिलाई , कटाई , बुनाई जानती हैं। लेकिन उनके पास कोई संसाधन नहीं है। उन महिलाओं को जन सुराज पार्टी की सरकार आयेगी तो सरकार अपने गारंटी पर बैंक से 4 % ब्याज पर ऋण उपलब्ध कराएगी ताकि घर बैठे कोई छोटा – मोटा रोजगार कर अपने परिवार का भ्रमण पोषण कर सके। हमारा देश कृषि प्रधान देश है।
70 % आवादी कृषि पर निर्भर है। कृषि से मनरेगा के मजदूर को जोड़ने की बात हमारी पार्टी कर रही है। मनरेगा के मजदूर को सरकार भुगतान करेगी और उसका डायरेक्ट लाभ किसान को मिलेगा। मनरेगा के नाम पर वैसे भी वर्तमान सरकार में काफी धांधली , गड़बड़ियां हो रही है।
दूसरे के नाम पर बैंकों में खाता खुलवाकर काम कोई और कर रहा है और भुगतान किसी और को हो रहा है। जन सुराज पार्टी अपनी 5 कामों को अपने विजन में शामिल किया है। यह 5 वादों पर जन सुराज पार्टी अडिग है। 5 मांगे ऐसा है जो हर परिवार , हर घर , हर समाज के लोगों की जरूरत की चीज है। इसी 5 विकास मुद्दों पर जन सुराज पार्टी के संस्थापक सूत्रधार प्रशांत किशोर जी बात कर रहे हैं और इन 5 मुद्दों को जन – जन तक पहुंचाई जा रही है। इन्हीं 5 मुद्दों में सुधार लाकर बिहार में व्यवस्था परिवर्तन की बात हमारी पार्टी कर रही है।
बिहार को अग्रणी 1 से 10 श्रेणी में लाने के लिए जन सुराज पार्टी दृढ़ संकल्पित है। यह 5 मुद्दे जन सुराज पार्टी के विकास मुद्दे हैं। यह मुद्दा जुमला ना बने इस बात को ध्यान में रखकर 5 मुद्दों को बनाया गया है। यह वादा केंद्र सरकार के वादों की तरह नहीं है कि हर के खाते में 15 लाख जमा हो जायेंगे और बाद में यह कहकर हँसी में उड़ा दिया कि वह तो चुनावी जुमले थे। जन सुराज पार्टी कभी कोई गलत वादा नहीं करती।
ईमानदारी के साथ अपलोग के बीच तीसरा मोर्चा बनकर खड़ी है और व्यवस्था परिवर्तन की बात कर रही है। अगर अपलोग को जन सुराज पार्टी के विकास मुद्दे अच्छे लगते हों। जन सुराज पार्टी पर विश्वास है तो बिहार के व्यवस्था परिवर्तन में जन सुराज पार्टी के साथ कदम से कदम मिलकर बिहार के व्यवस्था परिवर्तन में अपनी उपस्थिति दर्ज कराएं और बिहार के व्यवस्था परिवर्तन में साथ दें। जबतक व्यवस्था परिवर्तन नहीं होगा विकास संभव नहीं है।
आजादी के बाद 1965 – 1966 तक बिहार विकास के मामलों में टॉप 5 में शामिल था। 1967 से 1990 तक बिहार में 32 सरकारें बनी जिसका कार्यकाल कम समय का रहा। कोई 5 महीना तो कोई एक साल तो कोई दो साल रहा। अपनी – अपनी कुर्सी सबको बचानी थी। बिहार का विकास ना के बराबर रहा। जो बिहार अग्रणी 5 के श्रेणी में था वह लुढ़ककर 28 वीं श्रेणी पर आ गया। सत्ता परिवर्तन बार – बार हुआ लेकिन व्यवस्था परिवर्तन नहीं हुआ।
1990 में व्यवस्था परिवर्तन की पहल हुई। स्थाई सरकार जनता दल की आई। जिसके मुख्यमंत्री लालू जी बने। लेकिन इस सरकार से जो जनता की उम्मीदें थी वह पूरी नहीं हुई। इस सरकार में किसी विशेष जाती वर्ग को लाभ मिला। 15 साल के शासन काल में स्थाई तो चली लेकिन बिहार का विकास 0 % पर रहा। 15 साल की सरकार में लुट , खसोट , घोटाला , नरसंहार , अपहरण उद्योग का चलन बढ़ता रहा। जब लालू जी घोटाला में फंसे तो किचेन से उठाकर राबड़ी जी को मुख्यमंत्री बना दिया।
बिहार में स्थाई सरकार का क्रेडिट लालू जी को दे सकते हैं। लेकिन विकास उस विशेष जाती वर्ग को भी नहीं मिला जो मिलना चाहिए था। बिहार में विकास की गति रुक सी गई। शिक्षा , स्वास्थ , रोजगार बिहार से पलायन कर गया। जंगल राज के प्रचार – प्रसार कर नीतीश जी 2005 में चुनकर आए। लेकिन किसी भी राजनीति दल को स्पष्ट बहुमत नहीं मिला।
कुछ दिन के बाद बिहार में विधानसभा के पुनः चुनाव हुआ। जिसमें नीतीश जी भाजपा के समर्थन से सरकार बनाई। 2005 से 2012 तक नीतीश जी की सरकार ने कुछ विकास किया। लेकिन 2013 से 2025 तक कुर्सी पकड़ नेता बन गये। 2005 से 2025 तक 20 साल के शासन काल में नीतीश जी 7 वार मुख्यमंत्री के शपथ ली। लालू जी के 15 साल के शासन काल में 2 ही मुख्यमंत्री बने।
एक बार लालू जी खुद रहे और दूसरी बार राबड़ी जी को मुख्यमंत्री बनाया। लेकिन 20 साल में 7 बार नीतीश जी मुख्यमंत्री बने। कुर्सी और स्वार्थ की राजनीति ने बिहार के विकास पर ताला लगा दिया। बिहार से युवा 10 से 15 हजार के रोजगार के लिए बिहार से पलायन करने लगे। बिहार में शिक्षा , स्वास्थ , रोजगार और कृषि बदहाली के दौर से गुजरने लगा। बिहार का विकास दर लुढ़ककर 28 वें न० पर आ गया है।