महाशिवरात्रि आज: 149 साल बाद बन रहा महासंयोग, शनि की पीड़ा से मिलेगी मुक्ति

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शिव संग शनि देव की बरसेगी कृपा, धन के कारक ग्रह शुक्र का भी मिलेगा साथ.

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महाशिवरात्रि इस बार बेहद खास मानी जा रही हैं. शिवरात्रि के दिन सूर्य, बुध और शनि एक साथ कुंभ राशि में स्थित रहेंगे. करीबर 149 साल बाद इन तीनों ग्रहों की युति और महाशिवरात्रि का योग का संयोग बन रहा है. ग्रहों के दुर्लभ योग में शिव पूजा करने से भक्तों की मनोकामनाएं जल्दी पूरी हो सकती हैं, ऐसी मान्यता है. इस योग में की गई पूजा-पाठ से कुंडली से जुड़े ग्रह दोष भी शांत हो सकते हैं. प्रख्यात ज्योतिषाचार्य पंडित सतीश पाठक ने बताया कि

महाशिवरात्रि पर शुक्र अपनी उच्च राशि मीन में रहेगा, इसके साथ राहु भी रहेगा. ये एक शुभ योग है.इसके अलावा सूर्य-शनि कुंभ राशि में रहेंगे. सूर्य शनि के पिता हैं और कुंभ शनि की राशि है. ऐसे में सूर्य अपने पुत्र शनि के घर में रहेंगे.शुक्र मीन राशि में अपने शिष्य राहु के साथ रहेगा. कुंभ राशि में पिता-पुत्र और मीन राशि में गुरु-शिष्य के योग में शिव पूजा की जाएगी. ऐसा योग 149 साल बाद बन रहा है.

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1873 में बना था ऐसा संयोग

2025 से पहले 1873 में ऐसा योग बना था, उस दिन भी बुधवार को शिवरात्रि मनाई गई थी. फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की महाशिवरात्रि 26 फरवरी, धनिष्ठा नक्षत्र, परिघ योग, शकुनी करण और मकर राशि के चंद्रमा की उपस्थिति में आ रही है.

सूर्य, बुध और शनि योग

महाशिवरात्रि पर सूर्य, बुध और शनि एक साथ कुंभ राशि में स्थित रहेंगे. इन तीनों ग्रहों की युति और महाशिवरात्रि का योग 2025 से पहले 1965 में बना था. ज्योतिषाचार्य पंडित सतीश पाठक ने बताया कि सूर्य और शनि पिता-पुत्र हैं और सूर्य शनि की राशि कुंभ में रहेंगे. यह एक विशिष्ट संयोग है, जो लगभग एक शताब्दी में एक बार बनता है, जब अन्य ग्रह और नक्षत्र इस प्रकार के योग में विद्यमान होते हैं.इस प्रबल योग में की गई साधना आध्यात्मिक और धार्मिक उन्नति प्रदान करती है. पराक्रम और प्रतिष्ठा को बढ़ाने के लिए सूर्य-बुध के केंद्र त्रिकोण योग का बड़ा लाभ मिलता है. इस योग में विशेष प्रकार से साधना और उपासना की जानी चाहिए.

सज कर तैयार औरंगाबाद के शिवालय

महाशिवरात्रि पर शिव उपासना के लिए औरंगाबाद के शिवालय सज कर तैयार है.कल अहले सुबह से ही शिव मंदिरों में भारी भीड़ उमड़ेगी. सुबह से ही मंदिरों में महिला व पुरुष श्रद्धालुओं की बड़ी तादाद महादेव के पूजा अर्चना को पहुंचेगी. शहर के कचहरी स्थित महाकाल मंदिर की भव्य सजावट की गई है. यहां बड़ी संख्या में श्रद्धालु महादेव की आराधना करने के लिए पहुंचेंगे. इसके अलावा शहर के बुढ़वा महादेव मंदिर,पीएचडी कॉलोनी शिव मंदिर, श्रीकृष्णा

नगर शिव मंदिर, बाईपास स्थित महेश्वर महादेव शिव मंदिर, विराटपुर अखाड़ा स्थित शिव मंदिर, पिपरडीह शिव मन्दिर, न्यू एरिया स्थित शिव मंदिर, सतेंद्र नगर स्थित शिव मंदिर, ब्लॉक कॉलोनी शिव मंदिर सहित अन्य शिवालयों में महादेव की पूजा होगी. सभी शिवालयों के समीप पुष्प व पूजन सामग्री के दुकान भी लग गए हैं. पूरा शहर भगवान भोलेनाथ की भक्ति में मग्न है.

जलाभिषेक व उपवास से बनेगी बात

ज्योतिषाचार्य पंडित सतीश पाठक ने बताया कि महादेव की भक्ति और उनकी कृपा पाने का सबसे आसान और सुलभ रास्ता जलाभिषेक है. जलाभिषेक से महादेव की कृपा पाई जा सकती है. साथ ही उपवास से महादेव की भक्ति पाई जा सकती है.महामृत्युंजय का मंत्र भगवान भोलेनाथ को अत्यंत प्रिय है.

महामृत्युंजय का जाप करने से समस्त पीड़ाओं से मुक्ति मिलती है. साथ ही महामृत्युंजय का मंत्र अकाल मृत्यु से बचाता है. जल के साथ-साथ दूध, दही, घी, पंचामृत, गन्ने का रस से अभिषेक करने से भी धन-धान्य संपदा व प्रतिष्ठा की प्राप्ति होती है.

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