श्रवण कुमार सम्मान से सम्मानित हुए माता पिता की सेवा करने वाले लोग,सास ससुर की सेवा के लिए सम्मानित हुई सोनम

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औरंगाबाद। जनेश्वर विकास केंद्र एवं बासमती सेवा केंद्र के तत्वावधान में देव प्रखंडान्तर्गत चैनपुर गांव में माता बासमती की पुण्यतिथि के अवसर पर श्रवण कुमार सम्मान समारोह का आयोजन किया गया। दो सत्रों में आयोजित समारोह की अध्यक्षता संस्था के अध्यक्ष रामजी सिंह तथा इसका कुशल संचालन वरीय अधिवक्ता एवं महोत्सव पुरुष सिद्धेश्वर विद्यार्थी ने किया।

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बतौर मुख्य अतिथि पधारे पूर्व प्रखंड विकास पदाधिकारी श्री भैरवनाथ पाठक, श्री शिवबचन सिंह, साहित्य-सेवी डॉ सुरेंद्र प्रसाद मिश्र, प्रोफेसर शिवपूजन सिंह, शिव नारायण सिंह,राम किशोर सिंह, कौशल कुमार सिंह पूर्व प्रखंड शिक्षा प्रसार पदाधिकारी सुमन अग्रवाल, मुखिया रामजी चौहान, मनोज कुमार सिंह, कविता विद्यार्थी एवं सिद्धेश्वर विद्यार्थी ने दीप प्रज्वलित कर समारोह का संयुक्त रुप से विधिवत श्रीगणेश किया।

पुन:आयोजक मंडल के पदाधिकारी उमेश चंद्र सिंह, पारसनाथ सिंह, पुरंजय सिंह, दिलीप सिंह, कविता विद्यार्थी, संतोष कुमार सिंह, रंजन कुमार सिंह, राम प्रवेश सिंह, राजु सिंह, राकेश सिंह आदि ने आगत अतिथियों को पुष्प माल एवं पुष्पगुच्छ देकर सम्मानित किया। प्रजापति ब्रह्माकुमारी संस्थान से आई बहन कुमारी प्रीति ने आगत अतिथियों के सम्मान में स्वागत गान प्रस्तुत किया।

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विषय प्रवर्तन कराने के निमित्त सिद्धेश्वर विद्यार्थी ने श्रवण कुमार सम्मान समारोह की उपादेयता पर प्रकाश डालते हुए बताया कि आज के भौतिकवादी युग में लोगों में वृद्ध माता-पिता के प्रति उपेक्षा की भावना पनप रही है। इस कुप्रवृत्ति को रोकने हेतु सनातन संस्कार विकसित करने के निमित्त इस तरह के आयोजन की परिकल्पना की गई। तत्पश्चात ‘माता पिता की सेवा: सभी धर्मों का मूल ‘विषयक प्रथम सत्र की संगोष्ठी का समारंभ करते हुए सुमन अग्रवाल ने माता पिता को दुनिया के सर्वोत्तम गुरु के रूप में निरूपित किया ।

साहित्य सेवी डॉ सुरेंद्र प्रसाद मिश्र ने अपनी बातों को रखते हुए माता माता पिता को जीवंत तीर्थ का रूप बताया और कहा कि अपने आर्ष ग्रंथ बतलाते हैं कि इनकी सेवा मात्र से ही विद्या, सुख-समृद्धि, आयु, आरोग्य, यश और बल की प्राप्ति सहज ही संभव है। प्रोफेसर शिवपूजन सिंह एवं ज्योतिर्विद शिव नारायण सिंह ने माता- को भूमि से गरीयसी और पिता को स्वर्ग से भी ऊंच्चे स्थान का अधिकारी बताया।

कवि राम किशोर सिंह एवं लव कुश प्रसाद सिंह ने अपने काव्य के माध्यम से काव्यांजलि प्रस्तुत की। मुख्य अतिथि के रूप में लोगों से संवाद स्थापित करते हुए भैरवनाथ पाठक ने माता पिता को विश्व का सर्वोत्तम गुरु के रूप में निरूपित किया। विनय कुमार सिंह, रामजी चौहान, अशोक पाण्डेय ने भी माता पिता के महत्व पर प्रकाश डाला।

सभी वक्ताओं ने एक स्वर से कहा कि सनातन, जैन, बुद्ध, ईसाई और इस्लाम आदि सभी धर्मों में माता -पिता के चरणों की सेवा से ही जन्नत की राह खुलने की बात कही है। इस अवसर पर और जिन महत्वपूर्ण लोगों ने अपनी बातें रखी उनमें राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त मुखिया से देव पांडेय, अजय श्रीवास्तव, लाल देव प्रसाद, कवयित्री सुषमा सिंह, अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष संजय कुमार सिंह आदि प्रमुख थे।

इस सम्मान समारोह में जिन प्रबुद्ध जनों की गरिमामई उपस्थिति बनी रही उनमें अधिवक्ता श्री गिरिजेश सिंह, विनोद मालाकार ,पूर्व पुलिस अधिकारी सिंहेश सिंह, मुरलीधर पांडेय, अर्जुन सिंह, सत्य चंडी महोत्सव के अध्यक्ष राजेंद्र सिंह,अरुण सिंह, सतबहिनी न्यास के मिथिलेश मेहता, शिव शंकर पांडेय, प्रदीप सिंह, चंद्रदीप सिंह, सतबहिनी के पुजारी राकेश मिश्रा, संतोष पाण्डेय जी, समाजसेवी सुरेंद्र सिंह, डा राजेंद्र प्रसाद, इकबाल अहमद, पत्रकार दीपक गुप्ता रामाकांत सिंह, उमगा महोत्सव के संजय सिंह, अभय सिंह, लंदन सिंह आदि सैकड़ों सज्जन वृंद प्रमुख थे।

कार्यक्रम के दूसरे सत्र में वैसे सुयोग्य संतानों को पुष्प हार, पुष्पगुच्छ,अंगवस्त्रम एवं प्रमाण पत्र देकर ‘श्रवण कुमार सम्मान’ से सम्मानित किया गया। जिन्होंने अपने माता-पिता, सास-ससुर की निस्वार्थ भाव से मनोयोग पूर्वक सेवा कर श्रवण कुमार के आदर्शों को जीवंत बनाया है। सम्मानित होने वालों की सूची में पूर्व मुखिया शिव देव पांडेय-कुटुंबा, कवयित्री सुषमा सिंह कामा विगहा, डॉ शशि बाला सिंह महादेवा, अभय कुमार सिन्हा औरंगाबाद, मीना कुमारी महुलान(मदनपुर), सोनम श्रीवास्तव औरंगाबाद, महेंद्र प्रसाद सिंह कटैया देव, धर्मेन्द्र कुमार सिंह कटैया देव थे। अंत में श्री रामजी सिंह के अध्यक्षीय उद्बोधन के उपरांत सभा की कार्यवाही संपन्न हुई।

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