गुरु प्रकाश स्तंभ है,जो हमारे मार्ग को रौशन करने के साथ सीखने का जुनून जगाते- गोवर्धन मिश्र

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लोक गायिका डिंपल भूमि की भक्ति गीतों पर झूमते रहे लोग

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राजेश मिश्रा

औरंगाबाद। जिले में सोमवार रात को देव प्रखंड स्थित हसौली पंचायत के कुंडा ग्राम में गुरु पूर्णिमा के शुभ अवसर पर सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की शुरुआत आचार्य गोवर्धन मिश्र के द्वार दीप प्रज्ज्वलित कर क़ी गईं।उक्त अवसर पर एसएन कंट्रक्शन के द्वारा उपस्थित ब्रह्मणों को दुर्गा सप्तशती की पुस्तके भी वितरण की गई। इस मौके पर आयोजित भक्ति गीत कार्यक्रम में लोक गायिका डिंपल भूमि ने भक्ति गीतों की एक से बढ़कर एक गीतों की प्रस्तुति देकर श्रोताओं को झूमने पर मजबूर दिया।

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उक्त अवसर पर आचार्य गोवर्धन मिश्र ने बताया कि आषाढ़ पूर्णिमा के दिन ही वेदों के रचयिता महर्षि वेदव्यास का जन्म हुआ था। सबसे पहले वेदों की शिक्षा महर्षि वेदव्यास ने ही दी थी। इसलिए हिन्दू धर्म में उन्हें प्रथम गुरु का दर्जा दिया गया है। क्योंकि गुरु ही अपने विद्यार्थी को अंधकार से शिक्षा के माध्यम से प्रकाश की ओर ले जाते हैं। सच्चे विद्यार्थी का परम धर्म है कि अपने गुरु का हमेशा आदर करें। गुरु सिर्फ एक शिक्षक नहीं है जो ज्ञान प्रदान करते है। बल्कि एक प्रकाश स्तंभ है,जो हमारे मार्ग को रोशन करते है और मूल्यों को स्थापित करते है।

गुरु ही हैं जो हमारे भीतर सीखने का जुनून जगाते है। शिक्षक पाठ्यपुस्तकों और कक्षाओं से आगे बढ़कर जीवन के मूल्यवान सबक देते हैं और जीवन के सबक एक मित्र, एक सहपाठी बन जाते हैं जो हमेशा हमारे साथ रहता है। भले ही आज हमारी शिक्षा का स्वरूप बदल गया है। लेकिन गुरु-शिष्य का रिश्ता आज भी वही है। जो हमें किताबों में पढ़ने को मिलता है।

अगर गुरु को गुरु दक्षिणा देनी हो तो उन्हें अपने समस्त अहंकार, घमंड, ज्ञान, अज्ञान, अभिमान सभी गुरु के चरणों में अर्पित कर दें। यही सच्ची गुरु दक्षिणा होगी। इस अवसर पर संतोष मिश्र, सुधीर मिश्र, पैक्स अध्यक्ष मनोज सिंह, सरपंच रामजन्म यादव, समाजसेवी सुजीत सिंह, वार्ड कमिश्नर भीम कुमार सिंह, अनुज कुमार सिंह के अलावा भारी संख्या में ग्रामीण उपस्थित रहे।

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