मैने यह नहीं सोचा था सर कि कभी अब पैर को जमीन पर रखकर चल भी पाऊंगी, मगर डॉक्टर ने मुझे नई जीवन दी और चलने लायक बना दिया

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औरंगाबाद। आम तौर पर देखा जाता है कि मरीज और चिकित्सक का संबंध सिर्फ रोग के ठीक होने तक ही सीमित रहता है और उसके बाद मरीज अपनी अलग दुनिया में रम जाते हैं। लेकिन कुछ चिकित्सक ऐसे भी होते है जो न सिर्फ अपने मरीज के हृदय में घर बना लेते हैं बल्कि भगवान की तरह पूजे भी जाते है।

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औरंगाबाद सदर अस्पताल में पदस्थापित ऐसे ही एक चिकित्सक है जिन्होंने एक महिला मरीज के सड़ रहे पैर को न सिर्फ अच्छा किया बल्कि उसे चलने लायक बना दिया। आज वह महिला उन्हे भगवान मानती है और किसी भी प्रकार की बीमारी में उनसे और उनकी पत्नी डॉक्टर देवाश्री जो सदर अस्पताल में पदस्थापित है से इलाज करवाती है।

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सदर अस्पताल में पदस्थापित ये चिकित्सक हैं हड्डी एवं नस रोग के विशेषज्ञ डॉक्टर विकास कुमार सिंह,जिन्होंने शहर के गंगटी निवासी निर्मला देवी के सड़ रहे तलवे को चार महीना तक इलाज कर ठीक किया और उसे चलने लायक बनाया।

महिला निर्मला देवी ने बताया कि मार्च महीने में गांव के ही समीप बाइक दुर्घटना में उसके एड़ी का आधा तलवा अलग हो चुका था। पैर की स्थिति देखकर लग रहा था कि उसे अब जीवन भर अपाहिज की जिंदगी जीने को मजबूर होना पड़ेगा। भारी मन से इलाज के लिए सदर अस्पताल पहुंची जहां उसकी मुलाकात डॉ. विकास से हुई और उन्होंने उसे बताया कि इसके ठीक होने में काफी वक्त लगेगा।

निर्मला देवी ने बताया कि डॉक्टर की बात सुनकर उसका दिल बैठ गया और यह लगा कि चिकित्सक सिर्फ दिलासा देने के लिए यह बात कह रहे हैं। मन भारी भारी सा हो गया और वह अपने इस हालात को देखकर भगवान को कोसने लगी।

निर्मला देवी की पुत्री रिक्की कुमारी ने बताया कि सदर अस्पताल में मां के प्राथमिक उपचार के बाद कई लोगों ने बाहर जाकर अच्छे चिकित्सक से इलाज कराने की सलाह दी। मगर उसके लिए लाखों रुपए खर्च होने की बात से ही दिल कांप गया। इस संदर्भ में डॉक्टर विकास से खुलकर बात की गई और उनसे पैर की स्थिति की पूरी जानकारी ली गई।

उन्होंने भरोसा दिया कि वह मेरी मां को चलने लायक बनाएंगे। उन पर भरोसा कर के इलाज शुरू कराया और चार महीने के इलाज के बाद आज मां बिलकुल पहले की तरह चल रही है। रिक्की ने डॉक्टर विकास के प्रति अपने उद्गार व्यक्त करते हुए उन्हें अच्छा डॉक्टर बताया और कहा कि आज उनके ही बदौलत उसकी मां चल पा रही है।

इधर इस संबंध में जब डॉक्टर विकास से बात की गई तो उन्होंने बताया कि अपनी पैर की स्थिति देखकर निर्मला देवी काफी निराश हो गई थी और उसके मन में इसको लेकर काफी उथल पुथल चल रहा था। किसी तरह उसे विश्वास दिलाकर इलाज शुरू किया। पता चला कि इलाज के दौरान ही कुछ लोगों के कहने पर उसे निजी चिकित्सक के यहां भी ले जाया गया।

मगर काफी खर्च की बात सुनकर परिजन सकते में आ गए। इतना ही नहीं लोग उसे बनारस ट्रामा सेंटर ले जाने की बात करने लगे थे। मगर निर्मला देवी ने दृढ़ निश्चय होकर मुझसे इलाज कराया और आज वह अपने पैरों पर पूर्व की तरह चल रही है।

उन्होंने बताया कि जब वह अच्छी तरह से चलने लगी तो इलाज के बाद उसने मुझे आशीर्वाद के रूप में 500 रुपए भी दिए। आशीर्वाद के तौर पर मिले यह रुपए ने मुझे काफी रोमांचित कर दिया और दुगुने उत्साह से मरीज की सेवा में जुट गया।

डॉ. विकास ने बताया कि मरीज के परिजन थोड़ा धैर्य से काम ले तो बड़े से बड़े रोग का औरंगाबाद में ही इलाज संभव है।

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