राकेश कुमार(लेखक-लोकराज के लोकनायक)
अभिव्यक्ति। मैं वैसे तो धर्म सहिष्णुता का हिमायती हूँ और सांप्रदायिक सौहार्द्र में विश्वास रखता हूँ किन्तु बांग्लादेश में अल्पसंख्यक हिन्दुओं पर बहुसंख्यक मुस्लमानों की बर्बरता का वायरल वीडियोज देखकर मेरी कौमी एकता में विश्वास की चूलें हिलने लगी हैं.
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से विनती है कि बांग्लादेश के हिन्दुओं को सुरक्षित भारत वापसी कराने हेतु त्वरित पहल करनी चाहिए और जितने भी बांग्लादेशी मुस्लमान घुसपैठिये भारत में हैं, उन्हें त्वरित कार्रवाई करते हुए बांग्लादेश भेजा जाना चाहिए.
जो कौमें अपने राष्ट्र निर्माता की मूर्ति को बर्दाश्त नहीं कर रही हैं, वह राष्ट्र गान के रचयिता हिन्दू गुरुदेव रवीन्द्रनाथ टैगोर की मूर्तियाँ कब और कहाँ तक सुरक्षित रखेंगी? इस यक्ष प्रश्न का आप ही जबाव दीजिएगा.
जो कौम अपनी बीवी को बुर्खा में ढ़ककर रखती हैं, वही कौम एक मुस्लिम महिला प्रधानमंत्री शेख हसीना के अंत: वस्त्रों को लहराकर ‘महिला की अस्मिता व इज्जत’ को सरेआम उछाल देने में एक पल भी देर नहीं लगाती है, उस कौम से वहाँ की अल्पसंख्यक हिन्दू बेटी-बहू-माताओं की इज्जत न लूट लेने की उम्मीद ????????
…..और उससे भी बढ़कर इस ‘कौम’ से अल्पसंख्यक हिन्दुओं को महफूज़ रखने की उम्मीद रखना तो ??????????
मुझे तो विपक्षी दलों के रवैये से भारत का अगले पचास साल में भविष्य कुछ वैसा ही दिखने लगा जिसकी शुरुआत पश्चिम बंगाल से होने की आशंका दिख रही है क्योंकि ममता बनर्जी ने बंगाल का पूर्ण इस्लामीकरण करने को ठान लिया है.