ड्यूटी से गायब रहकर चैन से सोती रही सदर अस्पताल की महिला चिकित्सक! गर्भ में तड़प−तड़प कर नवजात ने तोड़ा दम

धीरे-धीरे नवजात की स्थिति मां के गर्भ में खराब होते जा रही थी और उस वक्त ड्यूटी से गायब रही डॉक्टर घर में आराम फरमा रही थी। नीचे पढिए मन को विचलित कर देने वाली ये पूरी ख़बर

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औरंगाबाद। औरंगाबाद के सदर अस्पताल को मॉडल अस्पताल का दर्जा प्राप्त है और बिहार में इस अस्पताल का शुमार बड़े अस्पतालों में किया जाता है। लेकिन यहां न तो उसके अनुरूप कोई चिकित्सा मरीजों को मिल पाती है और ना ही चिकित्सक अपने कर्तव्य के प्रति संजीदा रहते हैं।खासकर यह मामला महिला चिकित्सकों में ज्यादा देखा जाता है। ऐसी स्थिति में लापरवाही के कारण अब तक कई मरीजों की जान भी जा चुकी है।जिसके कारण सदर अस्पताल हंगामे का गवाह बनता रहा है और यहां की खबरें सुर्खियां बटोरती रही हैं।

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बदतर स्थिति में है सदर अस्पताल का प्रसव वार्ड, अक्सर गायब रहते हैं ड्यूटी पर तैनात डॉक्टर्स

सबसे बदतर स्थिति इस अस्पताल के प्रसव वार्ड की है जहां की पूरी व्यवस्था नर्सों के हवाले हैं और भारी-भरकम वेतन पाने के बाद भी महिला चिकित्सक ड्यूटी करना मुनासिब नहीं समझती है। लेकिन माह पूरा होते ही अपनी पगार पूरे हक़ से ले लेती हैं। प्रसूति कक्ष के महिला चिकित्सकों की ड्यूटी से गायब रहने और लगातार फोन किए जाने के बाद भी उसका रिस्पांस नहीं लेने के कारण कई घटनाएं भी यहां घट चुकी है। ऐसा ही एक मामला बुधवार की सुबह सामने आया। जहां महिला चिकित्सक के रिचा चौधरी के अनुपस्थित रहने के कारण एक नवजात ने अपनी मां के गर्भ में तड़प तड़प कर दम तोड़ दिया।

अधर में फंसी हुई थी नवजात की जान, डॉक्टर, डीएस व हेल्थ मैनेजर तक ने नहीं उठाया फोन

यह मामला किसी आम व्यक्ति से नहीं बल्कि शहर के खास व्यक्ति से जुड़ा हुआ है और वह व्यक्ति हैं भारतीय जनता पार्टी के कद्दावर नेता भारतीय रेड क्रॉस सोसाइटी के चेयरमैन सतीश कुमार सिंह। पूरे मामले की जानकारी गुरुवार की शाम देते हुए श्री सिंह ने बताया कि उनका ड्राइवर अभिषेक प्रसव की वेदना से पीड़ित अपनी पत्नी को लेकर 7 जून की मध्य रात्रि 12:30 सदर अस्पताल पहुंचा और अपनी पत्नी को वार्ड में भर्ती कराया। उन्होंने बताया कि वहां मौजूद नर्स ज्ञानती देवी के द्वारा प्रसव की वेदना से कराह रही उसकी पत्नी का जहां तक संभव हुआ इलाज किया गया।

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मगर धीरे-धीरे नवजात की स्थिति मां के गर्भ में खराब होते जा रही थी। जिसको लेकर बुधवार की अहले सुबह 3 बजे के आस पास नर्स ज्ञांति के द्वारा उस वक्त ड्यूटी से गायब रही और घर में आराम फरमा रही महिला चिकित्सक डॉक्टर रिचा चौधरी को फोन किया गया। मगर लगातार फोन करने के बाद भी चैन की नींद में सो रही डॉक्टर रिचा के द्वारा नर्स ज्ञांति का फोन नहीं उठाया गया। बच्चे की हालत बिगड़ते गई जिसको लेकर ज्ञांति देवी ने सदर अस्पताल के उपाधीक्षक एवं अस्पताल प्रबंधक को भी फोन किया।परंतु उनका भी फोन नहीं उठा।

इस दौरान बच्चे की स्थिति को काफी गंभीर देखते हुए अभिषेक ने रेडक्रॉस के चेयरमैन वह फोन किया और उन्हे अस्पताल में व्याप्त कुव्यवस्था से अवगत कराया। चेयरमैन ने भी उस वक्त डीएस एवं हेल्थ मैनेजर को कॉल किया। परंतु उनका कॉल भी रिसीव नहीं हो सका।इधर समुचित इलाज नही मिलने के कारण सुबह होते होते ही बच्चे की मौत हो गई।

चेयरमैन श्री सिंह ने कहा कि किसी के भी जान से खेलने का हक किसी को नहीं है और ऐसा कृत कर महिला चिकित्सक ने गंभीर अपराध किया है। जिसको लेकर वह विधि संवत कार्रवाई करने के लिए बाध्य हैं।

नवजात के पिता ने संबंधित आरोपियों के खिलाफ दिया है थाने में आवेदन! DM से की है कारवाई की मांग

नवजात की मौत एक डॉक्टर की संवेदनहीनता से मृत हुए नवजात के पिता अभिषेक के द्वारा नगर थाने एक आवेदन देकर चिकित्सक रिचा चौधरी, हेल्थ मैनेजर एवं डीएस को दोषी मानते हुए कार्रवाई की मांग की है उन्होंने जिलाधिकारी को भी पूरी जानकारी देते हुए उनसे भी कार्रवाई की मांग की है। चेयरमैन श्री सिंह ने कहा कि यदि प्राथमिकी नहीं होती है तो वह इस मुद्दे पर न्यायालय का दरवाजा खटखटाएंगे और लापरवाह चिकित्सकों पर कार्यवाही करा कर ही रहेंगे।

इस संबंध में अस्पताल प्रबंधक हेमंत राजन ने बताया कि जिस दिन घटना घटी है, उस दिन बाहर से जांच टीम आई हुई थी। लिहाजा मैं लगभग 1:30 बजे रात तक काम किया। जिससे मुझे थकान हो गई। जिसके कारण मैं फोन नहीं उठा सका, लेकिन जिस डॉक्टर की ड्यूटी थी, उन्हें अलर्ट रहना चाहिए। उनके द्वारा फोन नहीं उठाया जाना समझ से परे है।

ऐसी घटनाओं के बाद क्या सरकारी अस्पताल की महिला चिकित्सक रात्रि में अपने कार्य के प्रति जिम्मेदार प्रतीत होती हैं?

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