सीतामढ़ी के सांसद देवेश चंद ठाकुर के वक्तव्य को लेकर लोग कल से चिल्ह-पों मचा रहे हैं

6 Min Read
- विज्ञापन-

राकेश कुमार(लेखक – लोकराज के लोकनायक)

- Advertisement -
Ad image

……बात कुल मिलाकर यही होती है!सीतामढ़ी के सांसद देवेश चंद ठाकुर के वक्तव्य को लेकर लोग कल से चिल्ह-पों मचा रहे हैं। नैतिकता के धरा-धाम पर अगर कसौटी में कसा जाए तो थोड़ा अटपटा लग सकता है किन्तु यह व्यावहारिकता के धरा-धाम पर अधिकांश माननीयों द्वारा किया जाता है जो सैद्धांतिक रूप से गलत होने के बावजूद भी व्यावहारिक रूप से सर्वमान्य और सर्वस्वीकार्य है। लेकिन कृत्य को गुप्त रखकर लोग पाक-साफ प्रतीत होते हैं जबकि देवेश चंद ठाकुर से इसे अभिव्यक्त कर विवाद मोल ले लिया।

बात कोई दिसंबर, 2002 की रही होगी। भारतीय जनसंचार संस्थान, नई दिल्ली में मैं पत्रकारिता का विद्यार्थी था। हमारे एक प्राध्यापक क्षितिज मोहन श्रीवास्तव जी(अब स्वर्गीय) हुआ करते थे। श्रीवास्तव जी ने ही इंदिरा गाँधी की मृत्यु की सूचना ब्रेक किया था। श्रीवास्तव जी बताया करते थे कि नेता स्वभाव से बड़े चालाक होते हैं जिनसे न तो वोट का फायदा हो और न ही चुनाव के समय चंदा का फायदा हो, उनका काम चालाकी से नकार देते थे। बतौर श्रीवास्तव जी, 1977 में देश में जनता पार्टी की सरकार केन्द्र में बन गई थी।

- Advertisement -
KhabriChacha.in

कोई एक व्यापारी लहसुन का निर्यात करने हेतु लाइसेंस प्राप्त करना चाहता था। शरद यादव जी ने उस व्यापारी के सामने ही चालाकी से सात अंक का टेलिफोन नंबर डॉयल कर प्रधानमंत्री मोरारजी भाई देसाई को कॉल लगाया। गलत नंबर से कॉल लगने की बात तो कतई संभव नहीं था किन्तु व्यापार को तसल्ली हो गयी। श्रीवास्तव जी शरद यादव की चालाकी को ताड़ गये। व्यापारी को जाते ही उन्होंने शरद जी से कहा, आप तो सात डिजिट ही डायल कर रहे थे जबकि टेलिफोन नंबर उन दिनों आठ अंक का हुआ करता था।

प्रत्युत्तर में शरद यादव ने हँसते हुए कहा, “श्रीवास्तव जी, आप भी न भाई!”ये न तो चुनाव में चंदा देता है और न ही चुनाव के मदद करता है और न ही मेरे लिए मतदान करता है। फिर ऐसे व्यक्ति के लिए पैरवी या काम क्यों किया जाए?लालू-राबड़ी जी के राज में जहानाबाद जिले के सेनारी गाँव (संप्रति अरवल जिला) में नरसंहार हुआ था। भूमिहार जाति के लोगों का गला रेत कर जघन्यता से मौत के घाट उतार दिया गया था। सूबे की मुख्यमंत्री राबड़ी देवी थीं और कांग्रेस पार्टी के नेता रामाश्रय प्रसाद सिंह(अब स्वर्गीय) थे। रामाश्रय बाबू ने सीएम से पीडित गाँव(क्योंकि पूरे गाँव के लोग ही तकरीबन काटकर मार दिये गये थे) के दौरे की माँग रखी।

उस समय के मीडिया रिपोर्ट बताते हैं कि राबड़ी जी ने कहा था कि आपके जाति के लोग मारे गये हैं,आप जाइए। मैं क्यों जाऊँ? जबकि कुछेक महीने के बाद मियांपुर नरसंहार होने के बाद लालू जी और शिवानंद तिवारी जी का दौरा उस गाँव में हुआ था। एक बार का कौन कहे, दोबारा भी लालू जी के आदेश पर प्राथमिकी दर्ज की गई थी क्योंकि पीडित परिवार यादव जाति का था।

बिहार में लालू-राबड़ी जी का राज था। देव(सु) क्षेत्र से सुरेश पासवान को लालू जी ने टिकट दिया था। सुरेश पासवान ने चुनाव के साल के प्रथम जनवरी को पोस्टकार्ड पर सभी लोगों के नाम शुभकामना संदेश प्रेषित किया था। चुनाव के दौरान क्षेत्र के सभी लोगों से भरसक मिलने का प्रयास किया था और आशीर्वाद भी लिया था। चुनाव जीत गये। संभवतः पर्यटन राज्य मंत्री का पद प्राप्त हुआ। चुनाव जितने के बाद केवल उन्हीं लोगों से मिलने जाते थे जिनसे उनको वोट मिले होने की उम्मीद थी। और लोगों कहना है कि काम भी केवल उन्हीं लोगों का किया करते थे।

मेरे वर्तमान विधायक राजेश कुमार मेरे गाँव में चुनाव के समय जाते हैं तो केवल कोईरी पट्टी और दुसाध पट्टी जाते हैं। इसके अलावा गाँव में किसी से मिलना भी मुनासिब नहीं समझते हैं। अब काम करने की बात करना कहाँ तक मुनासिब होगा, आप खुद ही समझ लीजीए। जबकि इनके पिताजी स्वर्गीय दिलकेश्वर राम मेरे घर भी जाते थे।हमारे पूर्व सांसद किन्तु अभूतपूर्व व्यक्ति सुशील कुमार सिंह के आवास पर प्रतिदिन पचास-सौ लोगों की हुजूम होती थी। वहाँ काम कराते सभी जाति-धर्म-संप्रदाय के लोग दिखते थे। इसमें यादव और मुसलमानों की भी संख्या अच्छी खासी होती थी किन्तु जब इस बार चुनाव का वक्त आया तो माहौल को इतना अगड़ा-पिछड़ा बना दिया गया कि उनकी हार वैसे उम्मीदवार से हुई जो न तो शील में, न तो सुशील होने में और न ही काबिलियत में उन्हें कायल कर सकता था।

मेरी तो राय है कि एक राजनीतिक व्यक्ति को जनसेवा का प्रतिफल या मजदूरी चुनाव में जनता द्वारा मतदान के रूप में प्राप्त होती है। यही उसकी कमाई भी है औऱ वही उसका संबंध संचय भी। लेकिन सालोंसाल सेवा कोई करे और मतदान के समय महौल को अगड़ा-पिछड़ा बनाकर मत किसी और को प्रदान कर दिया जाए, तो उस राजनीतिज्ञ को सही मजदूरी कैसे प्राप्त होगी?देवेश चंद ठाकुर जी की साफगोई को सलाम!!

Share this Article

You cannot copy content of this page