गुमशुदगी के रिपोर्ट के बाद पुलिस इसे गंभीरता से लेती तो बच सकती थी श्रेया की जान,सुशील कुमार सिंह

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श्रेया हत्याकांड के सही उद्भेदन के लिए हर संभव कार्रवाई पूरी चौकसी के साथ हो

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औरंगाबाद।लोकसभा क्षेत्र के निवर्तमान सांसद व भाजपा नेता सुशील कुमार सिंह ने औरंगाबाद एस.पी को पत्र के माध्यम से ध्यान आकृष्ट कराते हुए कहा कि बहुचर्चित श्रेया हत्याकांड के विषय में कुछ सवाल और सलाह भी देना चाहता हूँ।सर्वप्रथम मैं जानना चाहूँगा कि श्रेया की माँ ने जब बेटी की गुमसूदगी की सूचना थाने में दी तो पुलिस ने इसे एक गंभीर मामला मानते हुए गंभीरता पूर्वक इसका संज्ञान ले कर औरंगाबाद और आसपास के जिलों में एक लड़की के गुम होने का प्रचार चित्र सहित किया गया की नहीं। यदि नहीं किया तो क्यों ?

क्योंकि मेरा मानना है कि ऐसा करने से लड़की सही सलामत बरामद हो सकती थी या घटना होने की सूचना और जल्दी मिल सकती थी।मैं कहना चाहूँगा कि ऐसी किसी घटना होने पर जिसका कारण घटना स्थल, घटना का समय और घटना को अंजाम देने वाले के विषय में स्पष्ट जानकारी ना हो सबकुछ संदेह के घेरे में हो वैसे मामलों में पुलिस को जांच अनुसंधान में कोई एक कारण नहीं मानते हुए जांच केवल एक ही दिशा में नहीं करते हुए सारे विकल्प खुले रखने चाहिए अथार्त पुलिस की नजरे चौतरफा होनी चाहिए।

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जैसा कि शव के अंत्य परीक्षण प्रतिवेदन में जीवित अवस्था में पानी में डूबने और मरने की बात कही जा रही है, इसलिए की पेट में पानी भरा था। मतलब हत्या कर लाश को पानी में फेंकने की बात सही नहीं है।इसमें मैं कहना चाहूँगा कि ये भी संभव हो सकता है कि लड़की को हत्या की नियत से गहरे पानी में ढकेल दिया गया हो ?

रिपोर्ट में तेजाब या शरीर के ऊपर चोट के निशान नहीं पाए जाने की बात कही गई है।मैं कहना चाहूँगा कि जब घटना के लगभग 60 घंटे के बाद (अंत्य परीक्षण रिपोर्ट के अनुसार) शव बरामद होता है तो शव की स्थिति ऐसी नहीं रहती कि तेजाब या ऐसे निशान स्पष्ट हो, ऐसा किन्हीं अन्य / सामान्य चिकित्सकों की राय है।दूसरी बात मैं कहना चाहूँगा कि चुकि शव रोहतास जिले में लावारिस लाश के रूप में बरामद हुआ तो अंत्य परीक्षण भी बिना मेडिकल बोर्ड के बहुत ही हल्के तरीके से मामले को लेते हुए अंत्य परीक्षण की खानापूर्ति हुई।

चूंकि हिन्दू रीति के अनुसार दाह संस्कार के बाद दुवारा अंत्य परीक्षण का प्रश्न ही नहीं है इसलिए पुलिस को घटना की शुरुआत अथार्त लड़की के घर से निकलने के समय से लेकर शव बरामद होने के बीच के श्रोतों को बहुत ही गंभीरता से खंघालना होगा, तकनीकी (CDR) माध्यमों का भी सहारा लेना होगा, कड़ी से कड़ी जोड़ना होगा तभी सफलता मिलेगी। मैं समझता हूँ पुलिस ऐसा कर भी रही होगी।मुझे ऐसा प्रतीत होता है कि बहुत गहरी साजिश के तहत इस घटना को अंजाम दिया गया।

ऐसा मैं इसलिए कह रहा हूँ कि यदि आत्महत्या ही करना था तो नदी से पूर्वी छोर की तरफ जो औरंगाबाद जिले का हिस्सा है वहाँ कर सकती थी, सामान्यतया, लेकिन नदी के उस पार दूसरे जिले रोहतास में घटना होना अपने आप में संदेह का कारण है।हो सकता है अपराधी ऐसा समझे होंगे कि दूसरे जिले में घटना होने पर उतना गंभीरता से संज्ञान नहीं लिया जाएगा, वात आई गई हो जाएगी और अपराधी बच जाएंगे क्योंकि वैसे भी 60 घंटे के बाद शव का बरामद होना और फिर देर के बाद शिनाख्त होना एक महत्वपूर्ण विषय है।

पूर्व में जो भी लापरवाही हुई पुलिस अब गंभीरता पूर्वक जांच करें और ठोस सबूत के साथ घटना के कारणों और अंजाम देने वाले या देने वालों के ऊपर वर्तमान कानूनी प्रावधानों के तहत कार्रवाई करें, ऐसी अपेक्षा मैं और आम जनता पुलिस से रखती हैं।यह मामला अत्यंत गंभीर किश्म का है इसलिए आनन-फानन में कार्रवाई ना कर के सही दोषी अथवा दोषियों के उपर कार्रवाई हो।

क्योंकि पुलिस के लिए भी यह एक चुनौती है।मेरी अपेक्षा होगी कि समाज में शांति और कानून व्यवस्था नियंत्रित हो, आमजन शुकुन से भयमुक्त वातावरण में जिएँ, इसके लिए घटना का सही उद्भेदन के लिए हर संभव कार्रवाई पूरी चौकसी के साथ हो।

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