शब्दाक्षर की नवगठित समिति द्वारा मातृ दिवस के अवसर पर किया गया काव्य-गोष्ठी का भव्य आयोजन

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जिला मुख्यालय औरंगाबाद की महत्वपूर्ण सामाजिक संस्था पृथ्वीराज चौहान चैरिटेबल ट्रस्ट के सभागार में राष्ट्रीय स्तर की साहित्यिक संस्था ‘शब्दाक्षर’ द्वारा नवगठित समिति के तत्वावधान में प्रथम साहित्यिक काव्य- गोष्ठी धूमधाम से सम्पन्न हुई जिसकी अध्यक्षता प्रख्यात साहित्यकार डॉ सुरेंद्र प्रसाद मिश्रा ने की।

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संचालक के दायित्व का निर्वहन उक्त संस्था के जिला संगठन मंत्री सुरेश विद्यार्थी ने किया।मुख्य अतिथि के रूप में संस्था के राष्ट्रीय प्रचार मंत्री धनंजय जयपुरी,विशिष्ट अतिथि के रूप में बिहार प्रदेश संगठन मंत्री विनय मामूली बुद्धि, ट्रस्ट के संयोजक जगदीश सिंह,वरीय सदस्य राम प्रवेश सिंह की गरिमामई उपस्थिति रही।

आगत अतिथियों का स्वागत पुष्प हार देकर किया गया। कार्यक्रम की शुरुआत के पूर्व उक्त संस्था के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री रवि प्रताप सिंह ने दूरभाष के माध्यम से कार्यक्रम की सफलता हेतु शुभकामनाएं व्यक्ति की। सुरेश विद्यार्थी ने सरस्वती वंदना के माध्यम से कार्यक्रम की विधिवत् शुरुआत की।नवोदित गजलकार हिमांशु चक्रपाणि ने माता पर आधारित अपनी रचना खोल दिल आसमान की तरह, चाहती है वह जां की तरह के माध्यम से उपस्थित जन समुदाय की आंखें सजल कर दी।

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जिलाध्यक्ष नागेंद्र कुमार केसरी ने- “गर्दिशों में गुनगुनाओ”नामक रचना पर खूब तालियां बटोरी। लवकुश प्रसाद सिंह ने मां पर आधारित कविता का सस्वर पाठ किया। अनुज बेचैन के व्यंग्य-वाण ने श्रोताओं-दर्शकों को गुदगुदाये भी,बेचैन भी किये। प्रसिद्ध ज्योर्तिविद शिवनारायण सिंह की साक्षरता पर आधारित कविता ने जनसमूह को भाव-विह्वल कर दिया।वहीं विनय मामूली बुद्धि की अंधों से न्याय की उम्मीद,फिर से महाभारत करने की जिद कविता सुनकर लोग संवेदित हो गए।

धनंजय जयपुरी की मां पर आधारित रचना- “मेरी अंखियां ढूंढ रही उस मइया को,बचपन में जो लोरी मुझे सुनाती थी” को सुनकर लोग अत्यंत ही द्रवित हो गये।पूर्व बीईओ सुमन अग्रवाल ने मां की ममता का बखान किया।अवकाश प्राप्त प्रो डॉ शिवपूजन सिंह, समाजसेवी नन्हकू सिंह, संजय सिंह इत्यादि ने माता की महिमा का बखान किया।अध्यक्षीय उद्बोधन में मिश्रा जी ने मां को सर्वोपरि माना।धन्यवाद ज्ञापन करते हुए संजय सिंह ने कहा कि यह कार्यक्रम बौद्धिक चेतना को बढ़ावा देने वाला है।

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