श्रम न्यायालय के निर्णय से बिहार प्रदेश सेल्स रिप्रेजेंटेटिव एसोसिएशन बिहार-झारखंड, बीपीएसआरए, समेत समस्त सेल्स मार्केटिंग श्रमिकों में उत्साह
गैर कानूनी बर्खास्तगी और अवैध श्रम अभ्यास के विरूद्ध दो दशक से अधिक के संघर्ष को अंततः श्रम न्यायालय मुजफ्फरपुर के निर्णय से सफलता प्राप्त होने से बिहार प्रदेश सेल्स रिप्रेजेंटेटिव एसोसिएशन बिहार-झारखंड, बीपीएसआरए, समेत समस्त सेल्स मार्केटिंग श्रमिकों में उत्साह और प्रसन्नता है। इस विषय पर विशेष जानकारी देते हुए बीपीएसआरए के महामंत्री संत कुमार ने बताया कि फार्मा उद्योग में बड़ी कंपनी टोरेन्ट फार्मास्यूटिकल के प्रबंधन ने वर्ष 2003 में दरभंगा में कार्यरत मेडिकल रिप्रेजेंटेटिव दीपक कुमार को यूनियन कार्यो के कारण नौकरी से बर्खास्त कर दिया था।
बीपीएसआरए के सक्रिय सदस्य के साथसाथ दीपक कुमार उससमय टोरेन्ट में कार्यरत श्रमिकों के यूनियन के संयोजक भी थे। कम्पनी प्रबंधन द्वारा श्रमिकों के प्रति गलत कार्यो का विरोध और कानून सम्मत लाभ और सुविधाओं केलिए कार्य करने से टोरेन्ट प्रबंधन का मनमानापन नही चल पा रहा था। इसलिए आधारहीन आरोप लगाकर दीपक कुमार को 30 मार्च 2003 को बर्खास्त कर दिया।
अन्य विकल्पों और अवसरों को दरकिनार करते हुए समग्र श्रमिक हितों को ध्यान में रखकर दीपक कुमार ने कंपनी प्रबंधन के अत्याचार के विरुद्ध संघर्ष का रास्ता चुना । एकतरफ ये विषय न्यायिक प्रक्रिया के तहत श्रम न्यायालय मुजफ्फरपुर में दाखिल हुआ वहीं बीपीएसआरए ने पूरे बिहार-झारखंड में इस बर्खास्तगी के विरोध कार्यक्रम शुरू किया।
टोरेन्ट प्रबंधन को कईबार इस मसले के समाधान का अवसर मिला लेकिन प्रबंधन ने अपने धनबल के अहंकार और मनमानी की अकड़ के कारण ये विवाद चलता रहा। इस दौरान प्रबंधन ने कईबार पैसे और असामाजिक तत्वों से दीपक कुमार और बीपीएसआरए को दबाने की कोशिश की। कई जिलों में संगठन सदस्यों को गलत आरोपों से कानूनी प्रपंच से प्रताड़ित करने का प्रयास किया गया। लेकिन इन कुकर्मों का विपरीत प्रभाव होता गया और विरोध तीव्र होता गया।
श्रम न्यायालय में भी कंपनी प्रबंधन ने कुत्सित मानसिकता से केस को लंबा खिंचने का पूरा उपक्रम किया और इसकारण इस विवाद के निपटारे में 21वर्ष लगे। अन्ततः 27 अप्रैल 2024 को माननीय श्रम न्यायालय ने फैसला सुनाते हुए दीपक कुमार के सेवा बर्खास्तगी को गैरकानूनी और पूर्णतः आधारहीन बताया। न्यायालय ने स्पष्ट किया कि टोरेन्ट प्रबंधन ने तथ्यहीन आरोप लगाए और मनमानी पूर्वक दीपक कुमार को हटाया। न्यायालय ने आदेश दिया है कि सेवा बर्खास्तगी तिथि से दीपक कुमार की सेवा बहाली दरभंगा में ही किया जाये और सभी सेवा लाभों और वरीयता केसाथ पूरा भुगतान टोरेन्ट प्रबंधन केद्वारा किया जाये।
महामंत्री ने बताया कि इस निर्णय से प्रबंधनो केद्वारा अनैतिक और गैरकानूनी मनमानी का पर्दाफाश हुआ है और इस संदर्भ में बीपीएसआरए के प्रयासों को मजबूती मिला है। ये केस ज्यादा महत्वपूर्ण इसलिए है कि इसी केस में माननीय सुप्रीम न्यायालय के आदेश के तहत माननीय पटना उच्च न्यायालय के निर्णय से सभी मेडिकल रिप्रेजेंटेटिव को “वर्कमैन” के रूप में कानूनी संरक्षण प्राप्त हुआ और उसी के तहत बिहार सरकार ने आठ घंटे कार्य समय निश्चित किया।
इसप्रकार दीपक कुमार की विजय से एक तरफ प्रबंधनो के द्वारा श्रमिक प्रताड़ना पर आघात हुआ है और मेडिकल रिप्रेजेंटेटिव वर्ग में क्रांतिकारी बदलाव आया है।
इस ऐतिहासिक विजय पर बीपीएसआरए सभी जिला यूनिटों में कार्यक्रम आयोजित करेगा और समस्त दवा और मेडिकल क्षेत्र में स्वस्थ कार्य वातावरण हेतु अभियान चलाएगा।